रायपुर में है तीन राम मंदिर, एक 400 साल से भी पुराना, जहां तैरने वाला पत्थर आकर्षण का केंद्र
रायपुर : लगभग 500 साल के इंतजार के पश्चात अयोध्या में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी को संपन्न होने जा रहा है। संपूर्ण देशवासियों के साथ रायपुर में भी आस्था, भक्ति की लहर छाई है। खासकर, राजधानी रायपुर के अनेक प्राचीन श्रीराम मंदिरों में शोभायात्रा, विशेष पूजन, दीप प्रज्वलन और महाआरती की तैयारी जोरशोर से की जा रही है।
150 से 400 साल पुराने मठ, मंदिराें में प्रतिष्ठापित श्रीराम, सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमानजी की प्रतिमाओं का विशेष श्रृंगार और मंदिरों को सुगंधित फूलों से सजाया जा रहा है। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन मंदिरों के अलावा चौक-चौराहों, कथास्थलों पर हजारों, लाखों दीप जगमगाएंगे। राजधानी में तीन प्राचीन श्रीराम मंदिर ऐसे हैं, जहां श्रीराम-सीता, लक्ष्मण की प्रतिमाएं लगभग एक जैसी है, इन मठों में हजारों लोग पहुंचेंगे।
दूधाधारी मठ में विराजे है राघवेंद्र सरकार
मठपारा स्थित 400 साल से अधिक पुराने दूधाधारी मठ में राघवेंद्र सरकार का मनमोहक दरबार आस्था, विश्वास का केंद्र है। यहां प्रतिदिन दर्शन करने सैकड़ों श्रद्धालु पहुंचते हैं। मठ की स्थापना करने वाले महंत बलभद्र केवल दूध का आहार ग्रहण करते थे, इसलिए मठ का नाम दूधाधारी मठ पड़ा।
मठ में श्रीराम, सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमान की प्रतिमाएं श्रद्धालुओं को आकर्षित करतीं हैं। मठ में दक्षिण मुख वाला शंख, रामेश्वरम से लाया गया पानी में तैरने वाला पत्थर आकर्षण का केंद्र है। साथ ही सीता और अनुसूइया रसोई में भगवान को लगाया जाने वाला भोग बनता है। महंत बलभद्र की समाधि, गोशाला भी स्थापित है।
वीआइपी रोड का प्रसिद्ध श्रीराम मंदिर
वीआइपी रोड में मात्र छह साल पहले 2017 में आकर्षक श्रीराम मंदिर का निर्माण किया गया। बहुत ही कम समय में मंदिर की प्रसिद्धि प्रदेशभर में फैल चुकी है। राजस्थान के मकराना गांव के संगमरमर पत्थरों पर की गई नक्काशी आकर्षण का केंद्र है। मंदिर का गुंबद 108 फीट ऊंचा है। सोने के सिंहासन पर भगवान श्रीराम-सीता विराजित हैं।
मंदिर के पीछे माता अंजनी की गोद में बाल हनुमान की प्रतिमा और प्राचीन हनुमान की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर में आदिवासी बालकों के साथ ही अन्य विद्यार्थियों को संस्कृत की निश्शुल्क शिक्षा दी जाती है। यहां अध्ययनरत छात्रों के लिए निश्शुल्क छात्रवास और गोशाला, यज्ञशाला, नवग्रह मंदिर, ग्रह नक्षत्र वाटिका का निर्माण किया गया है। मंदिर के भोजनालय में मात्र 20 रुपये में भोजन प्रसादी की व्यवस्था है। मंदिर की दूरी जयस्तंभ चौक, रेलवे स्टेशन से 5 किलोमीटर है।
जैतूसाव मठ
पुरानी बस्ती स्थित जैतूसाव मठ भी 250 साल पुराना है।अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर मठ की आकर्षक साजसज्जा की गई है। मठ में हर साल रामनवमीं के अवसर पर भगवान श्रीराम को मालपुआ का भोग अर्पित करने की परंपरा निभाई जा रही है। यहां मालपुआ का प्रसाद ग्रहण करने हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। मठ में कभी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी देश को आजादी दिलाने की लड़ाई के लिए योजनाएं बनाया करते थे। यहां महात्मा गांधी भी पहुंचे थे और मठ के कुएं से पानी निकलवाकर हरिजन बालिका के हाथों पिया था। छुआछूत और भेदभाव मिटाने का संदेश दिया था।
गोपीदास मठ और नागरी दास मठ
बनियापारा, पुरानी बस्ती में स्थित गोपीदास मठ भी 250 साल से अधिक पुराना है, जहां श्रीराम-सीता, लक्ष्मण की प्रतिमा आकर्षण का केंद्र है। यहां प्रतिवर्ष राम-जानकी विवाहोत्सव की धूम मचती है। बरात निकलने से लेकर विवाह के गीत गाकर विवाह की रस्में निभाई जाती है।इसी मंदिर से थोड़ी दूरी पर जैतूसाव मठ के पास नागरी दास मठ है, जहां श्रीराम-जानकी, लक्ष्मण की प्रतिमा है। दूधाधारी मठ, गोपीदास मठ, नागरी दास मठ में लगभग एक जैसी प्रतिमाएं हैं।
गुढ़ियारी, बैरनबाजार में राम-जानकी मंदिर
प्राचीन मठों के अलावा गुढ़ियारी स्थित प्रसिद्ध मच्छी तालाब वाले हनुमान मंदिर में श्रीराम-जानकी की प्रतिमा श्रद्धालुओं को लुभाती हैं। इसी तरह बैरनबाजार में भी श्रीराम-जानकी मंदिर, चौबे कालोनी के चिंताहरण हनुमान मंदिर में राम-जानकी की प्रतिमा आकर्षण का केंद्र है।