रायपुर : छत्तीसगढ़ भाजपा में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर मंथन जारी है। शुक्रवार को पार्टी हाईकमान इस पर निर्णय ले सकता है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ के लिए शुक्रवार को पर्यवेक्षक नियुक्त किए जा सकते हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार शनिवार तक प्रदेश में पर्यवेक्षक आएंगे और रविवार को विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री के चेहरे पर निर्णय हो सकता है।
प्रदेश प्रभारी ओम माथुर और प्रदेश सह प्रभारी नितिन नबीन अभी दिल्ली में हैं। इस बीच केंद्रीय नेतृत्व छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के बारे में कोई बड़ा फैसला ले सकता है। राजनीतिक समीक्षकों के मुताबिक पार्टी इस बार ऐसे मुख्यमंत्री की तलाश में है जो कि अगले लोकसभा चुनाव में भी पार्टी को जीत दिलाने में फिट बैठता हो।
रमन-साय-साव का नाम सबसे आगे
पार्टी सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री के लिए मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णुदेव साय और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव का नाम रेस में पहले है। इसके अलावा केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह और महाराष्ट्र के राज्यपाल व रायपुर में सात बार लोकसभा सदस्य रहे रमेश बैस के नाम पर भी चर्चा है। वहीं बताया जाता है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से भी डा. पूणेंदु सक्सेना के नाम पर चर्चा है। पूर्णेंदु सक्सेना संघ के प्रांत प्रमुख हैं और हड्डी रोग विशेषज्ञ हैं।
शपथ ग्रहण की तैयारी
इधर, प्रशासन ने शपथ ग्रहण की तैयारी शुरू कर दी है। राजधानी के साइंस कालेज मैदान, इंडोर स्टेडियम या फिर नवा रायपुर के व्यापार विहार में शपथ ग्रहण समारोह हो सकता है।
प्रोटेम स्पीकर चुने जा सकते हैं बृजमोहन
छठी विधानसभा के लिए इस बार भाजपा के कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल सबसे कम उम्र के प्रोटेम स्पीकर बन सकते हैं। मौजूदा विधायकों में से वह सबसे अनुभवी और आठ बार के विधायक हैं, इसलिए उनकी सबसे अधिक संभावना है।
बतादें कि छत्तीसगढ़ की विधानसभा में सबसे अनुभवी विधायक को ही प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने की परंपरा रही है। बृजमोहन अग्रवाल की उम्र अभी 64 वर्ष है। इससे पहले सबसे कम उम्र के प्रोटेम स्पीकर 71 वर्षीय बोधराम कंवर और सत्यनारायण शर्मा थे। हालांकि यह पद अस्थायी है लेकिन स्थायी अध्यक्ष चुनने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।
यह होता है प्रोटेम स्पीकर
प्रोटेम स्पीकर ही नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाते हैं। प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति राज्यपाल करते हैं और आमतौर पर यह नियुक्ति तब तक के लिए होती है, जब तक स्थायी विधानसभा अध्यक्ष न चुन लिया जाए।