रायपुर : छत्तीसगढ़ सिर्फ पर्यटन, खनिज एवं वन संपदा के लिए प्रसिद्ध नहीं है, बल्कि सबसे खास व्यंजन और पकवानों के लिए भी जाना जाता है। यहां की अंगाकर रोटी का स्वाद मन को तृप्त कर देता है। सर्दी के मौसम में सुबह-सुबह जब नाश्ते में घी के साथ परोसा जाता है तो मन गदगद हो उठता है। सेहत की दृष्टि से भी इस रोटी को उत्तम स्वाथ्यवर्धक माना गया है।
छत्तीसगढ़ की पारंपरिक पकवानों में अंगाकर रोटी सबसे पहले है। वनांचल और ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे अधिक पसंद किया जाता है। बदलते दौर में अब शहर के होटलों में भी इसका स्वाद चखा जा सकता है। गढ़कलेवा से लेकर राज्य के कई बड़े होटलों में आर्डर पर अंगाकर रोटी आसानी से मिल जाती है। हालांकि इसका असली देसी स्वाद सिर्फ गांव और वनांचल में मिलेगा। यहां की महिलाएं इसे पारंपरिक तरीके से बनाती हैं।
सबसे अलग सबसे खास अंगाकर
आमतौर गेहूं से लेकर मक्के, बाजरे और सत्तू समेत तमाम तरह के अनाज से बनी रोटियों का स्वाद लेते हैं। रोटी को लोग ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर के समय में भी खाना पसंद करते हैं। सरसों दा साग, मक्के दी रोटी पंजाब की जान है। वैसे ही छत्तीसगढ़ की अंगाकर रोटी है, जो उसके पारंपरिक खाने के रूप में जानी जाती है। ग्रामीण इलाकों में इसे पान रोटी भी कहा जाता है। यहां आने वाले पर्यटक भी अब इसे चाव से खाने लगे हैं।
कंडे की आंच पर पकाई जाती है
अंगाकर रोटी की विशेष बात यह है कि यह रोटी कंडे की आंच पर पकाई जाती है। आंच पर पकाए जाने के कारण इस रोटी को अंगाकर रोटी कहते हैं। छत्तीसगढ़ की जान यानी अंगाकर रोटी को नए चावल के आटे से बनाया जाता है। इसमें पका हुआ चावल का भी इस्तेमाल किया जाता है। पलाश के पत्तों में लपेटकर पकाया जाता है। इसे आखिर में घी लगाकर और टमाटर की चटनी के साथ खा सकते हैं।