युएन में वोटिंग से भारत की दूरी पर प्रियंका का निशाना, कहा- चुपचाप सब देखना देश के सिद्धांतों के खिलाफ

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने शनिवार को इजरायल-हमास युद्ध पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर नई दिल्ली के अनुपस्थित रहने पर ‘आश्चर्य’ व्यक्त करते हुए कहा कि फलस्तीन में हजारों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को चुपचाप नष्ट होते देखना उन सभी चीजों के खिलाफ है, जिनके लिए भारत हमेशा खड़ा रहता है।

भारत ने प्रस्ताव से बनाई दूरी

भारत ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी और मानवीय दायित्वों को कायम रखने’ शीर्षक वाले जॉर्डन-मसौदा प्रस्ताव पर मतदान से दूरी बना ली। इसमें इजरायल-हमास युद्ध में तत्काल मानवीय युद्ध विराम और गाजा पट्टी में निर्बाध मानवीय पहुंच का आह्वान किया गया था। 193 सदस्यीय महासभा ने उस प्रस्ताव को अपनाया जिसमें तत्काल, टिकाऊ और निरंतर मानवीय संघर्ष विराम का आह्वान किया गया।

प्रियंका गांधी ने किया पोस्ट

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में, प्रियंका गांधी ने अपनी बात समझाने के लिए महात्मा गांधी की “आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देती है” वाली बात का जिक्र किया।

प्रियंका गांधी ने पोस्ट में कहा, “मैं हैरान और शर्मिंदा हूं कि हमारे देश ने गाजा में युद्ध विराम के लिए मतदान करने से परहेज किया। हमारा देश अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों पर स्थापित हुआ था, जिन सिद्धांतों के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने जीवन का बलिदान दिया, ये सिद्धांत संविधान का आधार हैं, जो हमारी राष्ट्रीयता को परिभाषित करते हैं।”

हर कानून की उड़ाई धज्जियां

प्रियंका गांधी ने कहा कि वे भारत के नैतिक साहस का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सदस्य के रूप में उसके कार्यों का मार्गदर्शन किया। प्रियंका गांधी ने कहा, “मानवता के हर कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, लाखों लोगों के लिए भोजन, पानी, चिकित्सा आपूर्ति, संचार और बिजली काट दी गई है और फलस्तीन में हजारों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को खत्म किया जा रहा है, ऐसे में स्टैंड लेने से इनकार करना और चुपचाप देखते रहना, उस हर चीज को नजरअंदाज करने जैसा है, जिसके लिए एक राष्ट्र के रूप में हमारा देश हमेशा खड़ा रहा है।”

प्रस्ताव के पक्ष में पड़े 121 वोट

भारत ने कहा कि आतंकवाद एक दुर्भावना है और इसकी कोई सीमा, राष्ट्रीयता या नस्ल नहीं होती है और दुनिया को आतंकवादी कृत्यों के औचित्य पर विश्वास नहीं करना चाहिए, क्योंकि उसने इजरायल-हमास संघर्ष पर एक प्रस्ताव पर रोक लगा दी। प्रस्ताव के पक्ष में 121 वोट पड़े, 44 अनुपस्थित रहे और 14 सदस्य देशों ने इसके खिलाफ मतदान किया। इस प्रस्ताव में पूरे गाजा पट्टी में नागरिकों को आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं के तत्काल, निरंतर, पर्याप्त और निर्बाध प्रावधान की भी मांग की।

अब तक मारे गए सात हजार फलस्तीनी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दशकों से चले आ रहे इजरायली-फलस्तीनी संघर्ष में गाजा में मरने वालों की बढ़ती संख्या अभूतपूर्व है। हमास शासित गाजा में स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि संघर्ष में 7,000 से अधिक फलस्तीनी मारे गए हैं।

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