इंदिरा एकादशी व्रत 10 अक्टूबर को, रोचक है इस व्रत की कथा, जानें मुहूर्त

हिंदू धर्म में एकादशी पर्व का विशेष महत्व है। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी कहा जाता है। इंदिरा एकादशी पितृपक्ष के दौरान आती है, इसलिए इस व्रत का पौराणिक महत्व भी ज्यादा होता है। धार्मिक मान्यता है कि इंदिरा एकादशी व्रत को रखने से पितरों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन विशेष तौर पर भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम की पूजा की जाती है।

कब है इंदिरा एकादशी व्रत

पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, इंदिरा एकादशी 10 अक्टूबर, मंगलवार को रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के मुताबिक, इंदिरा एकादशी की शुरुआत 9 अक्टूबर, सोमवार को दोपहर 12.36 मिनट से होगी और इस तिथि का समापन 10 अक्टूबर, मंगलवार को दोपहर 3.08 बजे होगा। लेकिन उदया तिथि के कारण इंदिरा एकादशी का व्रत 10 अक्टूबर को ही रखा जाएगा। ऐसे में व्रत का पारण 11 अक्टूबर को सुबह 06.19 मिनट से सुबह 08.39 मिनट के बीच किया जाना चाहिए।

इंदिरा एकादशी व्रत पर ऐसे करें पूजा

सुबह जल्दी उठकर घर की सफाई के बाद स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।

घर में पूजा-पाठ करें और नदी में पितरों का विधि-विधान के साथ तर्पण करें।

श्राद्ध कर्म के बाद ब्राह्मण भोज कराएं और बाद में खुद भोजन करें।

दशमी पर सूर्यास्त के बाद भोजन न करें।

एकादशी व्रत के दिन गाय, कौवे और कुत्ते को भी भोजन दें।

द्वादशी को पूजन के बाद दान-दक्षिणा दें।

इंदिरा एकादशी की पौराणिक कथा

एकादशी व्रत का संबंध भगवान विष्णु से माना जाता है। इसको लेकर पौराणिक कथा है कि सतयुग में महिष्मती नगर में इंद्रसेन नाम के राजा थे। एक बार उन्हें सपना आया कि उनके माता-पिता मृत्यु के बाद कष्ट भोग रहे हैं। राजा की जब नींद खुली तो पितरों की दुर्दशा को लेकर वे काफी चिंतित हुए। इस बात लेकर उन्होंने विद्वानों, ब्राह्मणों और मंत्रियों को बुलाकर विचार किया। तब विद्वानों ने सलाह दी कि आपको सपत्नीक इंदिरा एकादशी का व्रत करना चाहिए, जिसके पुण्य से पितरों की मुक्ति हो सकती है। तब राजा ने भगवान शालिग्राम की पूजा कर पितरों की आराधना की और गरीबों और जरूरतमंदों को दान दिया। इसके बाद भगवान ने उन्हें दर्शन देकर कहा- “राजन तुम्हारे व्रत के प्रभाव से तुम्हारे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हुई है।

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