इस महीने 11 से 15 सितंबर तक पूजा-पाठ, स्नान-दान आदि के लिए फलदायी रहेंगे। इनमें 11 सितंबर को पुष्य नक्षत्र योग रहेगा, जो खरीदारी करने लिए शुभ रहेगा। ज्योतिषियों के अनुसार, इन तीज-त्योहारों में देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की जाएगी। इसमें भक्तों के सभी मनोकामना पूरी होती है।
गो वत्स द्वादशी
11 सितंबर (सोमवार) को गो वत्स द्वादशी है। इस दिन गाय और बछड़े की पूजा कर अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना की जाती है। इस पूजन से कष्ट दूर होते हैं।
भौम प्रदोष
12 सितंबर को भाद्रपद माह का पहला प्रदोष रहेगा। मंगलवार को होने से भौम प्रदोष कहा जाएगा। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से शादी और नौकरी में आ रही रुकावटे दूर होती हैं।
शिव चतुर्दशी
13 सितंबर को शिव चतुर्दशी मनाई जाएगी। इसे मासिक शिवरात्रि कहते हैं। इसमें गंगाजल और दूध से शिवलिंग का अभिषेक करने का विधान है।
कुशाग्रहणी अमावस्या
कुशाग्रहणी अमावस्या 14 सितंबर को है। इस दिन बगीचों और जंगल से तोड़कर या खरीद कर कुश इकट्ठा करते हैं। कुश को तर्पण के लिए शुभ माना जाता है।
स्नान दान अमावस्या
यह 15 सितंबर (शुक्रवार) को रहेगी। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से शारीरिक और मानसिक कष्ट दूर होते हैं। वहीं, पितरों को प्रसन्न करने के लिए दान करना चाहिए।