भारत में जी20 की सफलता से तिलमिलाया चीन, अमेरिका-पश्चिम देशों पर लगाया अपने एजेंडे को बढ़ावा देने का आरोप

बीजिंग : जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने पहले दिन ही दिल्ली डिक्लेरेशन के लिए सभी देशों को मनाकर झंडे गाड़ दिए। रूस-युक्रेन जंग के बीच पश्चिमी देशों और रूस-चीन के दो अलग-अलग धड़ों को किसी बात पर राजी कर पाना आसान नहीं था, लेकिन भारत ने यह करके दिखा दिया। वहीं, ब्रिटेन ने ग्रीन क्लाइमेट फंड को दो अरब डॉलर देने का एलान किया। इस बीच चीन के दैनिक अखबार का एक संपादकीय सामने आया है, जिससे स्पष्ट है कि भारत में जी-20 की सफलता से चीन भड़क उठा है। उसने अमेरिका-पश्चिम देशों पर अपने एजेंडे को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है।

भारत से अलग अमेरिका की चाहत

दरअसल, चीन के एक अखबार ने अपने संपादकीय में कहा कि भारत इस वर्ष के जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान आर्थिक सुधार और बहुपक्षीय कूटनीति पर चर्चा कर ध्यान केंद्रित करना चाहता है। हालांकि, यह अमेरिका और पश्चिम देशों के चाहत से अलग है। संपादकीय में उम्मीद जताई कि इस साल नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन व्यवधानों को दूर करेगा और एक सफलता की कहानी बनाएगा। चीन ने अमेरिका और पश्चिम देशों पर अपने स्वयं के एजेंडे को बढ़ावा देने और वैश्विक उत्तर और दक्षिण को विभाजित करने के साथ-साथ पश्चिम और पूर्व के बीच टकराव को भड़काने की कोशिश करने का आरोप लगाया।

उसने निशाना साधते हुए कहा कि अमेरिका और पश्चिम, जो अक्सर दावा करते हैं कि वे भारत के साथ खड़े हैं, ने जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले देशों के बीच मतभेदों को प्रचारित करने के लिए बहुत प्रयास किए हैं। वे आर्थिक सहयोग के लिए एक प्रमुख विश्व मंच पर अपने एजेंडे को बढ़ावा देना चाहते हैं।

भारत के लिए ये मुद्दे महत्वपूर्ण

अखबार ने अपने संपादकीय में लिखा कि भारत ने जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए छह मुद्दों को प्राथमिकता दी है। इनमें हरित विकास और जलवायु वित्त, समावेशी विकास, डिजिटल अर्थव्यवस्था, सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, प्रौद्योगिकी परिवर्तन और सामाजिक-आर्थिक प्रगति के लिए महिला सशक्तिकरण में सुधार शामिल हैं।

चीन के संपादकीय में कहा गया कि इस मुद्दों से साफ है कि भारत आर्थिक सुधार और बहुपक्षीय कूटनीति पर चर्चा पर ध्यान केंद्रित करना चाहता है, जो हमेशा से जी-20 मंच का मुख्य विषय रहा है। नई दिल्ली ने बार-बार कहा है कि यह मंच भूराजनीतिक प्रतिस्पर्धा का स्थान नहीं है। चीन ने कहा कि उदाहरण के लिए भारत-चीन संघर्ष ले सकते हैं, जिसे अमेरिका और पश्चिम देश बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे हैं। जबकि, हाल ही में भारतीय विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने मीडिया में साफ कहा था कि मैं इसे उस तरह से बिल्कुल नहीं देखूंगा जैसा  दूसरे लोग सुझाएंगे।

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