Dancing On The Grave डॉक्यु-सीरीज पर रोक लगाने की मांग, पढ़ें- किसने प्राइम वीडियो को भेजा कानूनी नोटिस?

मुंबई : सच्ची घटना पर आधारित प्राइम वीडियो की नई डॉक्यूमेंट्री डांसिंग ऑन द ग्रेव (Dancing On The Grave) अपनी दिल दहला देने वाली कहानी को लेकर चर्चा में बनी हुई है। रिलीज के चंद दिनों बाद ही डॉक्यु सीरीज को लेकर कानूनी अड़चन सामने आ रही है।

कानूनी पचड़े में फंसा प्राइम वीडियो

मुरली मनोहर मिश्रा उर्फ स्वामी श्रद्धानंद ने सीरीज को लेकर प्राइम वीडियो को कोर्ट में घसीटा है और डांसिंग ऑन द ग्रेव पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि डॉक्युमेंट्री उनके कानूनी अधिकारों को प्रभावित कर सकती है, क्योंकि उनका केस अभी कोर्ट में विचाराधीन है।

सच्ची घटना पर आधारित है सीरीज

मुरली मनोहर मिश्रा को हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी और वो मध्य प्रदेश के सागर के सेंट्रल जेल में अपनी सजा काट रहे हैं। डांसिंग ऑन द ग्रेव की कहानी सच्ची घटना पर आधारित है, जिसे प्राइम विडियो ने हाल ही में 21 अप्रैल को रिलीज किया है।

प्लेटफॉर्म को मिला लीगल नोटिस

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, मुरली मनोहर के वकील ने प्रोड्यूसर और प्राइम वीडियो को लीगल नोटिस भेजा है, जिसमें कहा गया है कि वेब सीरिज उनके मुवक्किल से संबंधित है और उनका केस अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। सीरीज कई मायनों में मुरली मनोहर मिश्रा के कानूनी अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। इसलिए कानूनी नोटिस मिलने के तुरंत बाद सीरीज के प्रसारण पर रोक लगा दी जाए।

आपराधिक मामला हो सकता है दर्ज

नोटिस में आगे कहा गया कि ऐसा ना करने पर प्राइम विडियो के खिलाफ कोर्ट में अपराधिक मामला दर्ज करवाया जाएगा, जिसके लिए प्लेटफॉर्म जिम्मेदार होगा। इसके अलावा इस कानूनी कार्रवाई के लिए मुरली मनोहर मिश्रा के वकील ने 55 हजार रुपए की रकम भी मांगी है।

दिल दहला देने वाली है कहानी

सीरीज की कहानी 1990 में हुई शाकरे नमाजी की हत्या पर आधारित है, जो एक शाही परिवार से ताल्लुक रखती थीं। शाकरे नमाजी की हत्या कर दफनाने का आरोप उनके पति मुरली मनोहर मिश्रा पर लगा था, जिन्हें पुलिस ने जांच में दोषी पाया और अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनायी थी।

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