जेल विभाग ने बनाया बंदी छुट्टी का नया नियम : तारीख ख़त्म होने की शाम तक नहीं लौटा तो माना जाएगा फरार…होगी ऍफ़आईआर

रायपुर। छत्तीसगढ़ की जेलों में बंद सजायाफ्ता कैदियों को सालभर में 42 दिन छुट्टी देने का नियम बनाया गया है। खास बात ये है कि छुट्टी लेकर जाने वाला बंदी अगर नियत तारीख की शाम तक खुद नहीं लौटा, तो उसे फरार माना जाएगा। यही नहीं, बंदी के खिलाफ पुलिस में एफआईआर भी करवाई जाएगी। इस तरह फरार हुए बंदी के जमानतदार के खिलाफ भी थाने में प्रकरण दर्ज किया जाएगा। छत्तीसगढ़ सरकार के जेल विभाग ने बंदी छुट्टी नियम 989 में बदलाव कर नया नियम बनाया है। सजायाफ्ता बंदी को साल में अधिकतम 42 दिन की छुट्टी की पात्रता होगी। यह छुट्टी चार माह के अंतराल में 14-14 दिनों के लिए होगी।

ये बंदी नहीं होंगे छुट्टी के पात्र

बंदी, जो उनकी सजा भुगतने के दौरान जेल अपराध में, चेतावनी के दंड दंडित किए गए हैं और ऐसा दंड छुट्टी के उसका आवेदन करने के दिनांक से एक वर्ष से पूर्व उस पर अधिरोपित किया गया हो। ऐसा बंदी जो उसे पूर्व में दी गई छुट्टी के दौरान फरार हो जाने के कारण किसी भी सजा से दंडित किया गया हो, तो ऐसा बंदी अपनी सजा की शेष अवधि के दौरान सामान्य छुट्टी का पात्र नहीं होगा। ऐसा बंदी जिसका किसी आपराधिक प्रकरण, जिसमें किसी भी प्रकार की फरारी के मामले शामिल है, अभियोजित किया जा रहा है और उस मामले में प्रतिभूति पर उसके निर्मुक्त हो जाने के बावजूद किसी न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन हो। ऐसा बंदी जिसके विरुद्ध विचारणार्थ कोई अन्य मामला लंबित हो।

छुट्टी पर जाने की ये होंगी शर्तें

छुट्टी के दौरान बंदी केवल उन्हीं जगहों पर जा सकेगा, जिसका उल्लेख उसने अपने आवेदन में किया हो। अन्य किसी स्थान पर नहीं। छुट्टी के दौरान बंदी न तो किसी प्रकार का अपराध करेगा, न ही कोई ऐसा काम करेगा जिससे लोकहित प्रभावित हो। बंदी छुट्टी मंजूर किए गए स्थान में पंहुचने की सूचना ग्राम के सरपंच, कोटवार या शहर में वार्ड पार्षद को देगा। और छुट्टी के दौरान रोज उनके समक्ष अपनी हाजरी भी देगा। अगर बंदी ने यह नहीं किया तो सरपंच, कोटवार, पार्षद तत्काल इसकी सूचना क्षेत्र के पुलिस थाने को देंगे।

शर्त नहीं मानी तो होगी गिरफ्तारी

नियम में यह बात शामिल है कि यदि कोई बंदी अपनी वापसी के लिए तय तारीख की शाम तक स्वयं उपस्थित नहीं होता है तो वह जेल से फरार बंदी समझा जाएगा। उसके विरुद्ध जेल के अधिकार क्षेत्र वालेपुलिस स्टेशन एफआईआर करवाई जाएगी। संबंधित थानेदार बंदी के खिलाफ न्यायालय में चालान पेश करेंगे। इस तरह फरार माने गए बंदी के जमानतदार के खिलाफ भी थाने में प्रकरण दर्ज कराया जाएगा। यही नहीं जमानतदार द्वारा दी गई जमानत जब्त करने की कार्रवाई कर उसकी संपत्ति कुर्क करने की आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

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