“विजेता” बनी मेहनत, तकनीक और आत्मनिर्भरता की मिसाल, कहा “मेहनत, धैर्य और कौशल से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है”
कोसा बीज उत्पादन में हासिल की उपलब्धि, केंद्रीय रेशम बोर्ड से मिला सम्मान

रायपुर : विजेता कोरी ने आज अपने नाम के अनुरूप विजेता बनकर अपने नाम को सार्थक बना दिया है और यह सिद्ध कर दिया है कि मेहनत, धैर्य और कौशल से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है। वे अब न केवल अपने परिवार के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र की महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। ग्राम रमतला की विजेता रामसनेही उर्फ अन्नू कोरी आज ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। साधारण परिवार से आने वाली अन्नु ने मेहनत और लगन से न केवल अपनी आजीविका को सशक्त बनाया बल्कि पूरे क्षेत्र में रेशम उत्पादन के क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित किया। उन्होंने एक माह में 12 हजार कोसा बीज का उत्पादन किया। केंद्रीय रेशम बोर्ड द्वारा विजेता को उनकी उपलब्धि के लिए सम्मानित किया गया।
बिलासपुर जिला के बेलतरा विधानसभा क्षेत्र के ग्राम रमतला निवासी श्रीमती विजेता कोरी उर्फ अनु पिछले 10 वर्षों से रमतला रेशम अनुसंधान एवं विकास केंद्र से जुड़ी हुई हैं। प्रारंभ में उन्हें इस कार्य की जानकारी नहीं थी, लेकिन केंद्र से मिले प्रशिक्षण और तकनीकी मार्गदर्शन ने उनके भीतर आत्मविश्वास जगाया। उन्होंने धीरे-धीरे रेशम और कोसा बीज उत्पादन की बारीकियों को सीखी। विजेता ने बताया कि रेशम उत्पादन की प्रक्रिया बेहद कठिन है और कड़ा परिश्रम करनी पड़ती है, फिर भी मैंने हार नहीं मानी। दिन-रात मेहनत कर कोसा बीज उत्पादन किया और अकेले ही 12 हजार से अधिक बीज का निर्माण किया।
हाल ही में केंद्रीय रेशम बोर्ड द्वारा कोरबा जिले के पाली विकासखंड के ग्राम डोंगानाला में आयोजित कार्यक्रम मेरा रेशम, मेरा अभिमान में केंद्रीय रेशम बोर्ड द्वारा उन्हें विशेष रूप से सम्मानित किया गया। उन्होंने मात्र एक माह में 12 हजार नग कोसा बीज तैयार कर रिकॉर्ड बनाया। इस कार्य से उन्होंने 40 हजार रुपये की आमदनी अर्जित की, विजेता ने अकेले यह उपलब्धि हासिल की। यह उपलब्धि उनकी मेहनत, कौशल और आत्मविश्वास का परिणाम है। विजेता कोरी को केंद्रीय रेशम बोर्ड रांची के निदेशक डॉ. एन.बी. चौधरी, बिलासपुर के डॉ. नरेंद्र कुमार भाटिया और श्री सी एस लोन्हारे के हाथों सम्मानित किया गया। यह पहला अवसर था जब उनके कार्य के लिए ऐसा बड़ा सम्मान मिला। उन्होंने कहा कि यह सम्मान उनके लिए अविस्मरणीय है। उन्होंने बताया कि कोसा और रेशम बीज निर्माण की प्रक्रिया में एक माह का समय लगता है और मौसम के अनुकूल वर्ष भर में तीन से चार बार उत्पादन की प्रक्रिया की जा सकती है।
उन्होंने बताया कि कोसा बीज उत्पादन कार्य के साथ साथ वह केंद्र में समय समय पर दैनिक मजदूरी का काम कर भी आजीविका कमाती हैं। विजेता अपनी मेहनत से मिली आमदनी से अपने परिवार को आर्थिक संबल दिया है। अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा और परवरिश दे रही हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना से पक्का घर मिला। महतारी वंदन योजना से हर माह 1000 रुपए और श्रम विभाग की बीमा योजना सहित कई अन्य योजनाओं, बच्चों को छात्रवृत्ति योजना का भी लाभ मिल रहा है। बिहान के तहत गंगा जमुना स्व-सहायता समूह से जुड़कर उन्होंने मछली पालन का कार्य भी शुरू किया, जिससे उनकी आय के स्रोत बढ़ गए।
विजेता कहती हैं – सरकार की मदद से मैंने अपने जीवन को बेहतर बनाया है। आज मैं अपने पैरों पर खड़ी हूँ और अपने परिवार को एक सुरक्षित भविष्य दे पा रही हूँ। इसके लिए मैं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की आभारी हूँ। विजेता ने बताया कि केंद्रीय रेशम बोर्ड के अधिकारियों से उन्हें तकनीकी मार्गदर्शन मिलता रहा, जिससे वह अपने काम को बेहतर तरीके से कर पाई जिसका बेहतर परिणाम उन्हें मिला।