सावन का आज तीसरा सोमवार, हटकेश्वर महादेव समेत अन्य शिव मंदिरों में उमड़ी भक्तों की भीड़, लगी लंबी कतारें

रायपुर : आज सावन का तीसरा सोमवार है. हिंदू धर्म में सावन महीने को काफी पवित्र माना गया है और यह महीना भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. वहीं आज रायपुर के हटकेश्वर महादेव समेत प्रदेश के शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ी. लोग सुबह से लाईन में लगे है.
हटकेश्वर महादेव समेत शिव मंदिरों में उमड़ी भक्तों की भीड़
सावन के तीसरे सोमवार पर रायपुर के हटकेश्वर महादेव, बूढ़ेश्वर महादेव समेत अन्य मंदिरों में भक्तों की उमड़ी भीड़ है. सुबह से ही भक्तों का ताता लगा हुआ है. बड़ी संख्या में भगवान शिव के दर्शन करने लोग पहुंच रहे. बताया जा रहा है कि, बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर में भी शिवभक्तों का सैलाब उमड़ रहा है. शिवभक्त जलाभिषेक कर बेल पत्र, धतूरा और पुष्प अर्पित कर रहे. रायपुर के इस शिव मंदिर का इतिहास 602 साल पुराना है.
ज्वालेश्वर में लगा शिव भक्तों तांता
वहीं मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा पर एक बार फिर आस्था का सैलाब उमड़ा है. मध्यप्रदेश के अमरकंटक और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित ज्वालेश्वर में शिव के भक्तों और कांवड़ियों का तांता लगा है, आसमान कांवरियों के बोल बम, हर हर महादेव के उद्घोष से गुंजायमान है. कांवड़िए मध्यप्रदेश की सीमा में स्थित अमरकंटक के नर्मदा उदगम से जल लाकर ज्वालेश्वर में भगवान शिव का जलाभिषेक करने आज भी बड़ी संख्या मे यहां पहुंचे हुए हैं, कांवरियों ने पहले नर्मदा उदगम से जल भरा और विशेष पूजा अर्चना के बाद रवाना हुये यहां उनके कांवरों की आरती हुयी और मां नर्मदा से आशीष लेकर ज्वालेष्वर के शिव धाम में पंहुचे.
कुलेश्वर नाथ मंदिर में ‘बम-बम भोले’ की गुंज
इसके अलावा राजिम त्रिवेणी संगम के मध्य स्थित भगवान कुलेश्वर नाथ के मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी शिवभक्तों ने सुबह से ही कतारों में खड़े होकर जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और पूजा-अर्चना की. मंदिर परिसर ‘बम-बम भोले’ के जयघोष से गूंज उठा. विशेष रूप से आज शाम से नाग पंचमी की तैयारियाँ भी जोर-शोर से चल रही हैं. इस अवसर पर भगवान कुलेश्वरनाथ का विशेष श्रृंगार किया जाएगा, जिसमें उन्हें फूलों, भस्म, चंदन और वस्त्रों से अलंकृत किया जाएगा. मान्यता है कि भगवान कुलेश्वर नाथ का शिवलिंग माता सीता द्वारा बालू से निर्मित किया गया था, और यह शिवलिंग रामेश्वरम से भी प्राचीन माना जाता है. यह स्थान न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है श्रद्धालुओं की आस्था और भक्ति से सराबोर यह स्थल सावन के इस पावन अवसर पर एक अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा से भर उठा है.