आयुष्मान क्लैम : कटाई-छटाई में टीपीए कंपनियों ने नहीं दिखाई दिलचस्पी, तीसरी बार निविदा की बढ़ी तारीख

रायपुर। शहीद वीरनारायण सिंह आयुष्मान स्वास्थ्य सहायता योजना के क्लेम के ऑडिट के लिए टीपीए कंपनियों द्वारा दिलचस्पी नहीं दिखाए जाने की वजह से तीसरी बार निविदा की तारीख आगे बढ़ा दी गई है। नवा रायपुर में ऑफिस के लिए 80 डॉक्टरों की फुलटाइम व्यवस्था का नियम ज्यादा खर्चीला पड़ रहा है। वहीं स्टेट नोडल एजेंसी के कार्यालय में प्रोसेसिंग ऑफिस बनाए जाने से अनावश्यक दखलंदाजी बढने के अंदेशे से कई कंपनियां इसके लिए दिलचस्पी नहीं दिखा रहीं। आयुष्मान योजनाओं में मरीजों के निशुल्क इलाज के बाद अस्पतालों से आने वाले क्लेम के ऑडिट का काम स्वास्थ्य संचालनालय की स्टेट नोडल एजेंसी थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेशन (टीपीए) द्वारा कराया जाता है।

पिछले तीन महीने से आडिट का काम अटका हुआ है, क्योंकि पुरानी कंपनी का अनुबंध समाप्त हो चुका है और नयी कंपनी तय करने के लिए टेंडर की प्रक्रिया पूरी ही नहीं हो पा रही है। सूत्रों का कहना है कि पूर्व में यह काम सिटी ऑफिस में पूरा हो जाता था और ऑडिट के लिए कम खर्च में ही एमबीबीएस के डाक्टर पार्ट टाइम जॉब के रूप में मिल जाते थे। नयी शर्तों के अनुसार टीपीए द्वारा प्रोसेसिंग का काम नवा रायपर स्थित स्टेट नोडल एजेंसी के कार्यालय से किया जाना है। इसके लिए अनुबंधित कंपनी को 80 डाक्टरों की व्यवस्था करनी पड़ेगी।फुल टाइम सेवा की वजह से डाक्टरों की नियुक्ति के लिए ज्यादा वेतन खर्च करना पड़ेगा। इसके अलावा दूसरी बड़ी बात एसएनए के कैंपस में ऑडिट होने से अनावश्यक रूप से अफसरों की दखलंदाजी की आशंका है। इसकी वजह से टीपीए कंपनियां इस टेंडर प्रक्रिया में शामिल होने से पीछे हट रही हैं और आयुष्मान योजना के आने वाले क्लेम के ऑडिट का काम पूरा नहीं हो पा रहा है। इस बार की टेंडर प्रक्रिया में केवल दो एजेंसी के शामिल होने की वजह से तीसरी बार ज्यादा कंपनियों की भागीदारी की आस में तारीख बढ़ा दी गई है।

29 मई से शुरू हुई प्रक्रिया

जानकारी के अनुसार शहीद वीरनारायण सिंह आयुष्मान स्वास्थ्य योजना के प्रोसेसिंग कार्य के लिए राज्य की नोडल ए. ने 29 मई 2025 को निविदा जारी की थी। इसमें टेंडर भरने की अंतिम तिथि 9 जून और टेंडर ओपन होने की तारीख 23 जून तय की गई थी। तकनीकी कारणों का हवाला देकर टेंडर ओपन करने की तारीख 28 जून तक बढ़ाई गई और इसी दिन निविदा खोलना तय किया गया था, जिसे 30 जून किया गया। टेंडर में केवल दो कंपनियों द्वारा भागीदारी निभाने की वजह से अब निविदा की तिथि पुनः बढ़ाकर 2। जुलाई कर दी गई है।

फंसे हुए हैं आठ सौ करोड़

इधर अस्पताल से जुड़े सूत्रों का कहना है कि, क्लेम ऑडिट नहीं होने की वजह से निजी अस्पतालों को भी राशि का सही तरीके से भुगतान नहीं हो पा रहा है। ऑडिट की प्रक्रिया में अस्पतालों के करीब आठ सौ करोड़ रुपये अटके हुए हैं। इसकी वजह से कई अस्पतालों की परेशानी बढ़ रही है। इस संबंध में चिकित्सकीय संगठन भी आयुष्मान स्वास्थ्य योजना से जुड़े अफसरों से मुलाकात कर चुके हैं।

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