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‘माता-पिता और बच्चे जीवन भर एक-दूसरे पर आश्रित रहते हैं’, हाईकोर्ट का आदेश, मृतक आश्रित बेटों को देने होंगे 14 लाख

बिलासपुर : ‘माता-पिता और बच्चे जीवन भर एक-दूसरे पर आश्रित रहते हैं.’ ये टिप्पणी छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मोटर वाहन दुर्घटना के एक मामले में की है. साथ ही हाईकोर्ट ने ट्रिब्यूनल का फैसला बदलते हुए दुर्घटना मे मारे गए बुजुर्ग दंपती के बेटों को 14 लाख 5 हजार 469 रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है.

रायपुर के रहने वाले सेवानिवृत्त बीएसएनएल कर्मचारी हरकचंद यादव और उनकी पत्नी की सड़क हादसे में मौत हो गई थी. जिसके बाद मृतक के बेटों ने साढ़े 26 लाख रुपये मुआवजे की मांग की थी. लेकिन ट्रिब्यूनल ने ये कहते हुए सिर्फ 75 हजार की राशि मंजूर की, कि दोनों बेटों की उम्र 38 और 40 साल है. दोनों बेटे विवाहित हैं और पिता पर आर्थिक रूप से निर्भर नहीं थे. जिसके बाद बेटों ने हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसके बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया.

जानिए क्या है पूरा मामला

पूरा मामला रायपुर का है. रायपुर निवासी सेवानिवृत्त बीएसएनएल कर्मचारी हरकचंद यादव 5 सितंबर को अपनी पत्नी मनभावती यादव को बाइक पर लेकर दुर्ग जा रहे थे. इस दौरान पावर हाउस बस स्टैंड के पास एक ट्रक ने उनकी बाइक को टक्कर मार दी, जिससे दोनों की मौके पर ही मौत हो गई. घटना के बाद मृतक के बेटे मनोज कुमार और तरुण कुमार ने 26.50 लाख का मुआवजा मांगा था, लेकिन ट्रिब्यूनल ने यह कहते हुए सिर्फ 75 हजार की राशि मंजूर की कि दोनों बेटों की उम्र 38 और 40 वर्ष है, वे विवाहित हैं और पिता पर आर्थिक रूप से निर्भर नहीं थे. जिसके खिलाफ बेटों ने हाईकोर्ट में अपील की थी.

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