आलू-प्याज हुआ सस्ता : पांच बरस की पुरानी कीमत पर पहुंची, चिल्हर में बिक रहे 20 रुपए

रायपुर। आलू और प्याज के दाम करीब पांच साल बाद चिल्हर में अब जाकर 20 रुपए हो गए हैं। प्याज तो कई सालों से रुलाने का काम कर रहा है, पर आलू ने भी बीते साल रुला दिया था, जब बंगाल से आने वाले आलू पर वहां की ममता बनर्जी सरकार ने बैन लगा दिया था, लेकिन अब बंगाल के साथ उत्तरप्रदेश से भी भरपूर आवक होने से आलू के दाम जमीन पर आ गए हैं। इसी के साथ प्याज की लोकल फसल के साथ ही महाराष्ट्र से आ रही भरपूर आवक के कारण प्याज की कीमत भी वापस कम हो गई है। प्याज जहां थोक में 8 से 14 रुपए तक बिक रहा है, वहीं आलू के दाम थोक में 15 से 17 रुपए हैं।

प्याज के दाम ने बीते पांच साल से बहुत परेशान किया। बीते साल की ही बात करें तो अक्टूबर-नवंबर में प्याज की कीमत थोक में 60 से 65 रुपए और चिल्हर में 80 रुपए थी। प्याज के दाम सौ रुपए के पार भी जा चुके हैं। कोरोनाकाल के बाद तो हर सामान में महंगाई की मार रही है। ऐसे में भला प्याज कैसे अछूता रहता। इस साल भी प्याज के दाम प्रदेश में 40 से 50 रुपए रहे हैं, लेकिन अब इसकी कीमत बहुत कम हो गई। कारोबारियों के मुताबिक अप्रैल- मई में लोकल फसल के आने के बाद इसके दाम बहुत कम हो जाते हैं। इस बार ऐसा हुआ है। प्याज थोक में आठ रुपए से प्रारंभ होकर अच्छ क्वालिटी का 14 रुपए है। ऐसे में चिल्हर में हर बाजार में इसकी कीमत 20 रुपए है। सालों बाद अब ठेलों पर भी शहर में हर जगह प्याज और आलू बिकते दिख रहे हैं।

कीमत पहले जैसी 

भनपुरी आलू-प्याज संघ के अध्यक्ष अजय अग्रवाल ने बताया कि, आमतौर पर आलू और प्याज के दाम चिल्हर में भी 20 रुपए के आसपास रहते हैं। अब इनकी कीमत वापस वही हो गई है। आलू और प्याज की रायपुर के साथ प्रदेश की सभी मंडियों में भरपूर आवक हो रही है।

आलू बंगाल के बैन से मुक्त 

बीते साल आलू ने पहली बार बहुत ज्यादा रुलाने का काम किया। आलू की कीमत आमतौर पर 20 रुपए के आसपास ही रहती है। इसी के साथ बहुत हुआ तो इसके दाम 25 से 30 रुपए तक ही जाते हैं, लेकिन बीते साल आलू की कीमत चिल्हर में 50 से 60 रुपए तक गई। इसके पीछे का कारण यह रहा है कि बीते साल दो बार पश्चिम बंगाल सरकार ने आलू पर बैन लगा दिया था। ममता सरकार ने राज्य के आलू उत्पादकों और कारोबारियों से साफ कह दिया था,दूसरे राज्यों में आलू नहीं जाएगा। ऐसे में आलू के दाम आसमान पर चले गए। आलू के लिए प्रदेश को उप्र पर निर्भर रहना पड़ा। वैसे उप्र का आलू रायपुर संभाग में ज्यादा नहीं बिकता, लेकिन उप्र के आलू के भरोसे ही लंबे समय से रायपुर संभाग भी चला। अब बंगाल में नई फसल आने के बाद इस साल वहां से आलू की भरपूर आवक होने के कारण दाम कम हो गए हैं।

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