तत्कालीन सीईओ जायसवाल पर शिक्षा कर्मी वर्ग तीन की भर्ती में फर्जीवाड़ा का आरोप लगाया गया था। ईओडब्ल्यू जांच में इसकी पुष्टि के बाद स्पेशल कोर्ट ने जायसवाल को भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी करने और घुसखोरी का आरोप तय करते हुए मुकदमा चलाने का आदेश दिया था। इसे चुनौती देते वर्तमान में एसी ट्राइबल जायसवाल ने हाई कोर्ट में आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने जायसवाल की याचिका खारिज कर दी है।
Bilaspur High Court: बिलासपुर हाई कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद अब यह तय हो गया है कि शिक्षा कर्मी वर्ग तीन की भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी और घुसखोरी के आरोप में जायसवाल पर स्पेशल कोर्ट में मुकदमा चलेगा। स्पेशल जज (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) बलरामपुर ने 27 जून 2018 को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2) और आईपीसी की धारा 120-बी के तहत आरोप तय कर दिया था। आपराधिक पुनरीक्षण याचिका की सुनवाई जस्टिस रविंद्र अग्रवाल के सिंगल बेंच में हुई। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को पूर्व में दी गई अंतरिम राहत को भी हटा दिया है।
जायसवाल पर ये है आरोप
Bilaspur High Court: तत्कालीन सीईओ जनपद पंचायत वाड्रफनगर और वर्तमान में एसी ट्राइबल जायसवाल पर आरोप है कि शिक्षा कर्मी वर्ग तीन की भर्ती के दौरान रिश्तेदारों और चहेतों को बैकडोर इंट्री दे दी। जिनको नौकरी दी गई उनके पास ना तो योग्यता थी और ना ही अर्हता। जायसवाल ने गैरकानूनी तरीके से शिक्षा कर्मी वर्ग तीन के पद पर चयन किया। रिश्तेदारों का चयन भी पूरी तरह नियमों के विपरीत करने की शिकायत की गई थी। शिकायत मिलने पर सरगुजा कलेक्टर ने चार सदस्यीय जांच कमेटी बनाकर जांच का निर्देश दिया था। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में शिकायत को सही पाते हुए भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी और नियमों को दरकिनार करने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की अनुशंसा की थी। जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ACB व EOW में प्रकरण दर्ज कर जांच प्रारंभ की।