गोली भी दूर नहीं कर सकेगी महंगाई का ‘सिरदर्द’, 1 अप्रैल से 12% महंगी हो जाएंगी ये दवाइयां

नईदिल्ली। महंगाई का आलम इन दिनों ये है कि इसे कम करने के लिए लोगों की ना तो ‘दुआ’ काम आ रही है, और अब ‘दवा’ भी काम नहीं आएगी. वजह, 1 अप्रैल से देश में जरूरी दवाओं की कीमत 12 प्रतिशत तक बढ़ने जा रही है. सरकार ने इसके आदेश भी जारी कर दिए हैं.

भारत में दवाओं की कीमत को नियंत्रित रखने वाली नेशनल फार्मास्युटिकल्स प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने 1 अप्रैल से जरूरी दवाओं के दाम 12.1218 प्रतिशत बढ़ाने का आदेश दिया है. एनपीपीए देश में करीब 800 दवाओं की कीमतें नियंत्रण में रखती है. इन दवाओं के लिए उसने एक ‘जरूरी दवाओं की नेशनल लिस्ट’ तैयार की हुई है.

जिन दवाओं की कीमत बढ़ने जा रही है उसमें सामान्य पेनकिलर्स से लेकर एंटी-बायोटिक्स, एंटी-इफेक्टिव, डायबिटीज और हृदय रोग इत्यादि से जुड़ी जरूरी दवाएं शामिल हैं. सरकार के इस कदम के बाद 27 बीमारियों के इलाज में काम आने वाली अहम दवाओं की कीमत 12 प्रतिशत से अधिक बढ़ सकती है.

दवाओं के दाम में ये रिकॉर्ड वृद्धि सालाना आधार पर अब तक की सबसे अधिक बढ़ोतरी है. पिछले साल भी एनपीपीए ने दवाओं की कीमत में 10.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी की अनुमति दी थी. इसके पीछे थोक मूल्य सूचकांक में बदलाव आना बताया गया था. इस साल भी डब्ल्यूपीआई में चेंज की वजह से ही इनकी कीमत बढ़ाई जा रही है.

सिर्फ जरूरी दवाओं की कीमत नहीं बढ़ने वाली है, बल्कि इससे गैर-जरूरी दवाओं की कीमत भी 10 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है. वहीं ऑल इंडिया ड्रग्स नेटवर्क की को-कन्वेनर मालिनी आइसोला कहना है कि ये लगातार दूसरा साल है जब दवाओं की कीमत वार्षिक आधार पर 10 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ाई गई है.

देश में जरूरी दवाओं की कीमत नियंत्रित करने के लिए साल 2013 में ‘ड्रग्स प्राइस कंट्रोल ऑर्डर’ (DPCO) लाया गया था. दवाओं की कीमत में इस तरह साल-दर-साल बड़ी बढ़ोतरी करने से मार्केट में डिस्टर्बेंस पैदा होगा.

वैसे देश की 1000 से ज्यादा दवा कंपनियों के एक संगठन ने पहले सरकार से सभी सूचीबद्ध दवा फॉम्युलेशन की कीमत तत्काल प्रभाव से 10 प्रतिशत बढ़ाने और नॉन-शेड्यूल्ड दवाओं की कीमत 20 प्रतिशत बढ़ाने के लिए कहा था.

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