CG News: मोक्षित का कारनामा : बिना जरूरत डीके में 96 लाख का क्लीनिक खोला, 7 साल से नहीं खुला जिसका ताला

रायपुर। CG News: 660 करोड़ के रीएजेंट सहित अन्य उपकरणों की खरीदी के मास्टर माइंड मोक्षित कार्पोरेशन के संचालकों का एक और कारनामा सामने आया है। सात साल पहले डीके अस्पताल में बिना जरूरत के 96 लाख का डायबिटिक क्लीनिक तैयार किया था। बिना प्रशासकीय स्वीकृति के पूरा किए गए इस काम के लिए उसे 56 लाख का भुगतान भी हो गया। डायबिटिक से संबंधित विभाग डीके अस्पताल में था ही नहीं इसलिए आज तक उसका ताला नहीं खुला है। क्लीनिक सात साल से बंद है। सूत्रों के अनुसार डीके अस्पताल में सुपरस्पेशलिटी सुविधा उपलब्ध कराने की आड़ में वहां भी दवा कार्पोरेशन के अफसरों के साथ इस दवा सप्लायर एजेंसी ने बड़ा खेला किया।

अस्पताल में विभिन्न काम बिना प्रशासकीय स्वीकृति के पूरे हुए जिसमें से एक काम ट्रंकी प्रोजेक्ट फॉर डायबिटिक क्लीनिक का भी था। इसके लिए सीजीएमएससी के माध्यम से वर्ष 2017-18 में टेंडर जारी हुआ पहले दौरान में रिजेक्ट होने के बाद दूसरी बार में मोक्षित कार्पोरेशन एलीजेबल हुआ। आमतौर पर डायबिटिक क्लीनिक का काम अधिकतम 30 से 35 लाख में पूरा हो जाता है जिसके लिए उसकी 95 लाख 93 हजार 400 की जीएसटी समेत प्रोजेक्ट तैयार किया गया। काम पूरा होने के बाद कंपनी को लगभग 56 लाख का भुगतान भी हुआ फिर निर्माण के प्रशासकीय स्वीकृति नहीं होने का मसला उठा और बाकी राशि रोक दी गई। डायबिटिक क्लीनिक की डीके अस्पताल को जरूरत ही नहीं थी। निर्माण पूरा हुआ इसके बाद वहां लगा ताला पिछले सात साल से एक बार भी नहीं खोला गया है।

2.59 करोड़ का कार्डियक सेटअप भी 

CG News:  डीके अस्पताल में 2 करोड़ 59 लाख 60 हजार का कार्डियक सेटअप भी तैयार कराया गया था। पूर्व में हृदय संबंधी रोगों के इलाज की सुविधा डीके अस्पताल में देने की थी। इसके लिए करोड़ों के उपकरण भी खरीदे गए मगर बाद भी कार्डियक सेंटर आंबेडकर अस्पताल में रह गया और कार्डियक सेट अप भी बेकार हो गया। ट्रंकी प्रोजेक्ट फॉर कार्डियक सेटअप का काम भी मोक्षित कार्पोरेशन द्वारा पूरा किया गया था।

कई तरह की अन्य योजना भी 

CG News:  डीके अस्पताल को सुपर स्पेशलिटी बनाने के लिए बेहद हाई-फाई योजना सीजीएमएससी के माध्यम से बनाई गई थी। इस योजना को पूरा करने के लिए पचास फीसदी काम मोक्षित के पास ही था। काम पूरा हुआ मगर आम मरीज के लिए कुछ योजनाएं ही फायदे की रही बाकी का लाभ दवा कार्पोरेशन के अधिकारियों सहित अन्य लोगों को हुआ।

आंबेडकर अस्पताल में होता उपयोग 

CG News:  कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डा. राकेश गुप्ता के मुताबिक,  मधुमेह रोगियों को नेत्र, नस, पैर, किडनी, हार्ट सहित विभिन्न अंगों में समस्या हो सकती है। डायबिटिक क्लीनिक के माध्यम से उन्हें तमाम तरह की परेशानियों के इलाज की सुविधा दी जाती है। इसमें किडनी को छोड़कर डीके अस्पताल में कोई दूसरा विभाग भी नहीं है। जानकार लोगों का कहना है कि डायबिटिक क्लीनिक आंबेडकर अस्पताल में उपयोगी होता मगर उसे डीके अस्पताल में बनवाया गया।

आधा दर्जन अफसर पूछताछ के दायरे में, गिरफ्तारी भी संभव

CG News:  छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन में मोक्षित कार्पोरेशन के साथ मिलकर 660 करोड़ के दवा घोटाले को अंजाम देने वाले आधा दर्जन अफसरों से पूछताछ की जा रही है। ईओडब्लू की पूछताछ में अगर उनकी संलिप्तता उजागर होती है, तो गिरफ्तारी भी संभव है। मोक्षित कार्पोरेशन का एमडी शशांक चोपड़ा पहले ही बंदी बनाया जा चुका है और अभी रिमांड पर उससे पूछताछ की जा रही है। मोक्षित कार्पोरेशन के साथ मिलकर जिन लोगों ने घटना को अंजाम दिया है, उनमें ज्यादातर दिया है, उनमें ज्यादातर अधिकारी अलग-अलग विभाग से प्रतिनियुक्ति में सीजीएमएससी पहुंचे थे। ईओडब्लू ने इस मामले में राखी थाने में एफआईआर करवाई थी। 28 जनवरी को दुर्ग से शशांक चोपड़ा को गिरफ्तार किया था और 29 जनवरी को न्यायालय में पेश कर सात दिन की रिमांड पर लिया गया है। सूत्रों के अनुसार इस गड़बड़ी में पूछताछ के दौरान कई तरह की अहम जानकारी मिल रही है। इस आधार पर ईओडब्लू की जांच की आंच दवा कार्पोरेशन के तत्कालीन अफसरों तक पहुंच गई है। इनमें से कई अधिकारियों को पूछताछ के लिए बुलाया गया है। अधिकारियों की भूमिका रीएजेंट और उपकरण खरीदी में प्रमुख होती है। पूछताछ में अगर उनकी संलिप्तता पाई जाती है, तो गिरफ्तारी की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा रहा है।

इनसे हो रही पूछताछ 

CG News:  मीनाक्षी गौतम को हाल ही जीएम फाइनेंस पद से हटाया गया है। घटना के दौरान सीजीएमएससी के इस जिम्मेदार पद पर थीं। मामला सामने आने के बाद भी सप्लायर कंपनी को बड़ा भुगतान किए जाने के मामले में इनसे पूछताछ हो रही है।

बसंत कौशिक

CG News:  वर्तमान में खाद्य एवं औषधि प्रशासन में सहायक नियंत्रक हैं। घोटाले के दौरान जीएम टेक्निकल की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। ठेका दिलाने टेंडर के नियमों में जोड़-तोड़ किए जाने के संबंध में पूछताछ हो रही है। डा. अनिल परसाई – खरीदी के दौरान इनके पास दवा कार्पोरेशन के स्टोर इंचार्ज की जिम्मेदारी थी। इनकी सहमति के बिना किसी भी दवा अथवा उपकरणों, रीएजेंट की खरीदी नहीं हो सकती थी।  झिरौंद्र रावटिया- ये बायोमेडिकल इंजीनियर थे और उपकरणों की खरीदी के दौरान जांच-पड़ताल की जिम्मेदारी इनकी थी। मामले में यह आरोप है कि दवा कार्पोरेशन द्वारा कई उपकरण दोगुने दामों में खरीदा गया था। इसके अलावा कमलकांत पाटनवा और आनंदराव को भी इस महाघोटाले में जांच के दायरे में लिया गया है। कमलकांत भी खाद्य एवं औषधि प्रशासन से संबंधित हैं और सहायक आयुक्त खाद्य एवं औषधि प्रशासन रहने के बाद सीधे सीजीएमएससी में प्रतिनियुक्ति पर पहुंचे थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button