CG एंटी-नक्सल ऑपरेशन : छत्तीसगढ़ के मोर्चे पर 24 साल में 1400 जवान शहीद, सबसे ज्यादा सीआरपीएफ के
रायपुर। नक्सल मुक्त राज्य के लिए माओवादियों से संघर्ष अभी चरम पर है और एक तरह से देखा जाए तो निर्णायक जंग चल रही है। इस बीच आंकड़े बताते हैं कि 24 सालों में नक्सलियों के खिलाफ जंग में थोक में नक्सली तो मारे ही गए है, हमारे 1400 जवानों को भी शहादत देनी पड़ी। इनमें सबसे ज्यादा संख्या सीआरपीएफ के लड़ाकों की रही है। इस अवधि में सीआरपीऍफ़ के 453 जवान शहीद हुए है। जिला पुलिस बल को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है। छत्तीसगढ़ राज्य का गठन वर्ष 2000 में हुआ, उस समय नक्सलियों का राज्य पर फोकस नहीं था, नक्सली भी उतने ऊपर नहीं थे, लेकिन धीरे धीरे राज्य में अपना प्रभाव बढ़ा रहे थे। अलग राज्य बनने के बाद पहली राज्य सरकार कांग्रेस की आई, उस समय तक भी हिंसक घटनाएं कम होती थीं और जवानों की शहादत भी इक्का-दुक्का हुआ करती थी। इसके बाद 2003 में भाजपा सरकार बनने के बाद 2005 में अचानक नक्सलियों ने तांडव शुरू किया। यह वही साल था, जब नक्सलियों के खिलाफ छत्तीसगढ़ में सलवा जुड़म अभियान की शुरुआत हुई थी। इसी साल नक्सलियों ने 51 जवानों को शहीद किया था। इसके बाद अगले ही साल 2006 में 76 जवान शहीद हुए।
इसके बाद के वर्षों में लगातार 126, जवानों की जानें गईं। 2005 से लेकर 2012 नक्सलियों से लड़ते-लड़ते लगातार बड़ी घटनाएं हुई। इन वारदातों के बीच 2007 में सबसे अधिक 200 जवान शहीद हुए। अब तक के इतिहास में 2024 तक करीब 1400 जवानों की शहादत हो चुकी है। इन घटनाओं में जान गंवाने वाले सबसे अधिक जवान केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स यानी सीआरपीए के रहे। इतने अरसे की हिंसक घटनाओं के बाद अब राज्य में नक्सलवाद अपनी आखिरी सांसें गिन रहा है। हालांकि 2025 के पहले ही महीने में नक्सलियों ने 9 जवानों के शहीद करने का दुस्साहस किया है, लेकिन संघर्ष अभी जारी है। छत्तीसगढ़ में नक्सल हिंसा की वारदातों का इतिहास हालांकि राज्य गठन से पहले का है, लेकिन राज्य बनने के बाद 2005 से जहां नक्सली हमले तेज हुए वहीं नक्सलियों के खिलाफ राज्य सरकार के बल और केंद्रीय बलों ने जमकर लड़ाई लड़ी। इन बलों में राज्य का जिला पुलिस बल, छत्तीसगढ़ आर्म्स फोर्स (सीएएफ) एसटीफ, असिस्टेंट कांस्टेबल, एसपीओ, गोपनीय सैनिक, नगर सैनिक, सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, मिजो फोर्स, नागा फोर्स, और बस्तर बटालियन के जवानों की शहादतों से इतिहास रंगा है। तब कहीं जाकर छत्तीसगढ़ के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग के जिलों के अलावा सरगुजा संभाग तथा राज्य के मैदानी इलाकों में शांति और सुरक्षा की ओर कदम बढ़ पाए हैं।
एक महीनेभर में दूसरा बड़ा हमला
दंतेवाड़ा में अप्रैल 2010 की बड़ी वारदात के बाद 17 मई 2010 करीब एक महीने के अंतराल में ये नक्सलियों ने दूसरा बड़ा हमला किया था. एक यात्री बस से दंतेवाड़ा से सुकमा जा रहे सुरक्षाबलों के जवानों पर नक्सलियों ने बारुदी सुरंग लगा कर हमला किया था. जिसमें 12 विशेष पुलिस अधिकारी समेत 36 लोग मारे गए थे। इस साल कुल मिलाकर 177 जवानों की शहादत हुई थी।
बलों ने जमकर किया मुकाबला, नक्सलियों को किया ढेर
नक्सलियों के खिलाफ ढाई दशक से चल रही लड़ाई कभी एकतरफा नहीं रही। सुरक्षा बलों के जवानों ने जहां अपनी जानें दीं, वहीं हमलावर नक्सलियों को मार गिराने में बड़ी सफलताओं का इतिहास भी लिखा है। बस्तर में वर्ष 2014 में 237 नक्सलियों को ढेर किया जा चुका है, जिनमें से 217 के शव पुलिस को मिले हैं। अन्य 20 नक्सलियों के मारे जाने की पुष्टि नक्सली स्वयं कर चुके हैं। इस अवधि में 925 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है, तो 792 नक्सली अपने हथियार छोड़ मुख्यधारा में लौट आए हैं।
नक्सलियों के गढ़ में पुलिस के कैंप
राज्य में एक तरफ नक्सलियों से मुकाबला किया गया है, वहीं नक्सलियों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए सरकार ने कई रणनीतिक कदम उठाए हैं। जानकारों के मुताबिक नक्सलियों को काबू करने की रणनीत का एक बड़ा हिस्सा ये था कि उनके प्रभाव वाले जंगल क्षेत्र में पुलिस के कैंप बनाए जाएं। पुलिस के कैंप बनाने का विरोध नक्सलियों ने ग्रामीण आदिवासियों को ढाल बनाकर भी करने की कोशिश की लेकिन वे सफल नहीं हो पाए। प्रदेश में 2024 में 28 नवीन सुरक्षा कैंप सीधे नक्सलियों के गढ़ में खोले गए हैं। दस नए कैंप नक्सलियों के आधार क्षेत्र तेलंगाना राज्य सीमा से सटे दक्षिण व पश्चिम बस्तर क्षेत्र में खोले गए हैं। इसी तरह अबूझमाड़ में भी सुरक्षा कैंपों की दीवार खड़ी कर दी गई है।
सबसे बड़ी शहादत रानी बोदली
साल 2007 में 200 जवानों ने दी कुर्बानी। बस्तर में साल 2007 में नक्सलियों ने रानी बोदली में सुराक्षा बलों के कैंप पर हमला किया था। इस घटना में जवानों ने नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब भी दिया था। बताया जाता है कि नक्सलियों से लोहा लेते हुए जवानों की गोलियां खत्म हो गई थीं, जिसके बाद नक्सली कैंप में घुसे और पेट्रोल बम दागे थे। नक्सलियों से बहादुरी से लोहा लेते हुए लगभग 55 जवान शहीद हुए थे। पुलिस जवानों का कैंप मानों श्मशान बन गया था। जगह-जगह शवों के ढेर थे। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद यह बस्तर की पहली सबसे बड़ी नक्सल घटना थी। इस घटना ने पूरे देश को रुलाया था। इसी साल कई और नक्सल घटनाएं भी हुई। इस प्रकार 2007 में कुल 200 जवान शहीद हुए थे। इस घटना में 75 एसपीओ की जानें गई थीं।
बेस कैंप पर हमला सीआरपीएफ के 25 जवान हुए थे शहीद
2017 में सुकमा के बुरकापाल बेस कैंप के नजदीक नक्सलियों ने घात लगाकर हमला कर दिया था। इस हमले में 25 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए थे। बताया जाता है कि जब जवानों की दो टीम पेट्रोलिंग के लिए निकली ही थी कि घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने हमला कर दिया। 13 मार्च 2018 सुकमा जिले के किस्टाराम क्षेत्र में 13 मार्च 2018 को नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट किया था. जिसमें सीरपीएफ के 9 जवानों ने अपनी शहादत दी थी। जबकि 25 जवान घायल हुए थे। 9 अप्रैल 2019 दंतेवाड़ा में 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नक्सलियों ने चुनाव प्रचार के लिए जा रहे बीजेपी विधायक भीमा मंडावी की कार पर हमला किया था। इस हमले में विधायक समेत 4 सुरक्षाकर्मियों ने अपना बलिदान दिया था। मार्च 2020 नक्सलियों ने सुकमा में योजना बना के एक बार फिर बड़ा हमला किया। 21 मार्च 2020 को हुए इस हमले में 17 जवानों ने अपनी शहादत दी। यह हमला तब हुआ जब उस वक्त चिंतागुफा इलाके में सचिंग अभियान चल रहा था। अप्रैल 2021 में 4 अप्रैल 2021 को एक बार फिर बड़ा नक्सली हमला होता है. छत्तीसगढ़ के बीजापुर और सुकमा जिले की सीमा पर हुए इस नक्सली हमले में 22 जवान शहीद हुए थे।
सबसे बड़ी मुठभेड़ में 29 नक्सलियों का सफाया
16 अप्रैल 2024 को कांकेर जिले के छोटे बेठिया थाना क्षेत्र के माड़ इलाके में देश की सबसे बड़ी मुठभेड़ में 29 नक्सली मारे गये थे। पुलिस फोर्स और नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ में नक्सली कमांडर शंकर राव ढेर हो गया था। शंकर राव पर 25 लाख का इनाम था। पुलिस ने मौके से भारी मात्रा में हथियार बरामद किया था। मारे गए सभी नक्सलियों पर कुल 1 करोड़ 78 लाख रुपए का इनाम घोषित था। इस घटना के बाद 30 अप्रैल को 9 घंटे तक चली मुठभेड़ जवानों ने 10 नक्सलियों को मार गिराया था। 10 मई 2024 को बीजापुर जिले के पीड़या के जंगल में 10 मई की सुबह 12 घंटे तक चली मुठभेड़ में 12 नक्सली मारे गए। इस दौरान दो जवान घायल भी हुए थे।