छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के तालपूरी कॉलोनी निर्माण में हुआ 15 करोड़ का घोटाला
कालोनी निर्माण करने वाली कंपनी का ठेकेदार बिना काम किये हो गया फरार
दुर्ग। भिलाई के रुआबांधा में तालपुरी प्रोजेक्ट को इंटरनेशनल कालोनी के नाम से वर्ष 2008 में प्रचारित कर मकानों की बुकिंग करवाई गई। इस प्रस्तावित कालोनी में करीब 1800 मकान ईडब्ल्यूएस और 1800 सामान्य एलआइजी, एमआइजी व एचआइजी थे। ईडब्ल्यूएस आवासों को पारिजात व अन्य को गुलमोहर, लोटस, रोज, लिली, टिली, बीजी, डहलिया, आर्किड जूही, मोंगरा टाइप बनाए गए थे। इस पर लगभग 550 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इस कॉलोनी निर्माण करने कलकत्ता के मेकेरोज बर्न लिमिटेड को भवन निर्माण करने का ठेका दिया था, लेकिन ठेकेदार बिना काम पूरा किए फरार हो गया।
चार अधिकारियों बीबी सिंह, तत्कालीन कार्यपालन अभियंता, हर्ष कुमार जोशी, एमडी पनारिया और एचके वर्मा ने इसका पूरा लाभ उठाते हुए ठेकेदारों और स्वयं का जेब भर लिया, क्योंकि जानकार बताते है कि ठेकेदार यदि कार्य अपूर्ण स्थिति में छोड़ता है तो अन्य एंजेसी-ठेकेदार से कार्य पूर्ण कराया जाता है तो कार्य पर होने वाले अतिरिक्त व्यय की वसूली संबंधित ठेकेदार से की जाती है और शेष कार्य के लिये निविदा आमंत्रित किया जाता है तथा अंतर की राशि की कटौती इनके बिलों से करके ही शेष धनराशि का भुगतान किया जाता है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने शेष कार्य पूर्ण कराने बिना पंचनामा कराए बिना निविदा निकाले की अपने चेहते ठेकेदार से कार्य पूर्ण करा लिया गया और प्रथम ठेकेदार से 18 प्रतिशत ब्याज दर से राशि की वसूली करना था उसे 11 प्रतिशत ब्याज दर से राशि वसूल कर प्रथम ठेकेदार को लाभ पहंुचाया गया।
इतना ही नहीं जिन लोगों ने भवन बुक कराया था उनसे 15 करोड़ का सर्विस टैक्स भी वसूल कर ठेकेदार को दे दिया, जबकि उच्च कार्यालय से सर्विस टैक्स वसूलने मना किया गया था, इस प्रकार इन चारों अधिकारियों ने प्रथम ठेकेदार और द्वितीय ठेकेदार दोनों को अनुचित आर्थिक लाभ पहंुच दिया गया और इस प्रकार शासन को भी आर्थिक क्षति पहुंचा गया और यह सब बिना लेन-देन किए तो नहीं किया गया होगा। जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट लिखा हुआ है कि इन चारों अधिकारियों से 15 करोड़ का राशि वसूला जाना चाहिए और इनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही भी होना चाहिए, लेकिन इन चारों अधिकारियों से ना तो 15 करोड़ वसूला गया और ना ही इनके विरूद्ध कोई कार्यवाही की गई, यानि मामला उच्च स्तर पर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया, लेकिन अब इस प्रकरण की लिखित शिकायत हुई है और इन चारों अधिकारियों से 15 करोड़ की वसूली के साथ उनके विरूद्ध कार्यवाही की भी मांग की गई है।