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महिला आरक्षण बिल: ‘हाथ जोड़कर अनुरोध राजनीति से उठकर करें बात’, बीआरएस नेता कविता ने पार्टियों को लिखा पत्र

kavita

नई दिल्ली : भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) एमएलसी के. कविता ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित सभी 47 राजनीतिक दलों के प्रमुखों को एक पत्र लिखकर राजनीतिक मतभेद दूर करने को कहा है। उन्होंने कहा कि राजनीति से हठकर सभी लोग संसद के आगामी विशेष सत्र में महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने को प्राथमिकता दें।

यह है विधेयक

महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है। लैंगिक समानता और समावेशी शासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होने के बावजूद, यह विधेयक बहुत लंबे समय से अधर में लटका हुआ है।

14 लाख महिलाएं सक्रिय

तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर की बेटी कविता ने पत्र में भारतीय विमर्श में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका और विधायी निकायों में उनके प्रतिनिधित्व की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि 14 लाख महिलाएं सार्वजनिक रूप से सक्रिय हैं। यह महिलाओं की नेतृत्व और शासन करने की क्षमता को प्रदर्शित करता है। एमएलसी कविता ने लोकतंत्र में समावेशिता के महत्व पर जोर देकर कहा कि महिलाओं का बढ़ा हुआ प्रतिनिधित्व विशिष्टता का मामला नहीं है, बल्कि अधिक न्यायसंगत और संतुलित राजनीतिक परिदृश्य बनाने का एक साधन है।

इन नेताओं को भी लिखा पत्र

वहीं, उन्होंने भारतीय जनता पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, डीएमके के एमके स्टालिन, एनसीपी के शरद पवार, कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खरगे, वाईएसआरसीपी के जगन मोहन रेड्डी सहित राजनीतिक दलों के अध्यक्षों को एक अलग पत्र लिखा। उन्होंने इन सभी से आग्रह किया इस विधेयक की आवश्यकता को पहचाने और महिला आरक्षण विधेयक को अपना समर्थन दें।

मैं हाथ जोड़कर…

इस बीच, कविता ने सत्ता पक्ष और विपक्षी दोनों सदस्यों से केंद्र सरकार द्वारा 18-22 सितंबर तक बुलाए जाने वाले संसद के आगामी सत्र में विधेयक का समर्थन करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि विभिन्न कारणों से संसद का एक विशेष सत्र बुलाया गया है। संसद में महिलाओं के प्रतिनिधित्व का मुद्दा अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि मैं हाथ जोड़कर सभी से पार्टियों से अनुरोध करती हूं कि वह राजनीति से उठकर इस मुद्दे को एक साथ उठाएं। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार के पास राज्यसभा में पर्याप्त बहुमत नहीं है, लेकिन महिला आरक्षण विधेयक पहले ही राज्यसभा में पारित हो चुका है। इसलिए उन्हें इसे बस लोकसभा में रखना होगा।

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