काले रंग का अलग-अलग जगह अलग महत्व होता है। शास्त्रों में भी इसका विशेष महत्व बताया गया है। हिंदू धर्म में काले रंग को अशुभता का प्रतीक माना जाता है। किसी भी धार्मिक कार्यों, पूजा-पाठ, शादी-विवाह, अनुष्ठान में काफी समय तक काले कपड़े या काले रंग को वर्जित माना गया है। काले रंग को शोक का प्रतीक माना गया है।
हम बुरी नजर से बचने के लिए काले धागे का इस्तेमाल करते हैं। काले रंग का अलग-अलग जगह अलग महत्व होता है। शास्त्रों में भी इसका विशेष महत्व बताया गया है। कर्मफल दाता शनिदेव का रंग भी काला है। काला रंग यह भी बताता है कि वह किसी से पक्षपात नहीं रखता है। काला रंग सभी के साथ एक जैसा व्यवहार करता है।
नवग्रहों में पूजे जाने वाले शनिदेव नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करते हैं और सत्यता का प्रकाश बिखेरते हैं। यदि कुंडली में शनि दोष भी होता है तो काले कुत्ते को रोटी खिलाने का उपाय बताया जाता है। शास्त्रों में इसलिए काला रंग महत्वपूर्ण माना जाता है।
काले रंग की महत्वता देवी मां काली भी दर्शाती हैं। नवदुर्गा के 9 रूपों में 7वां रूप माता काली का है। मां काली शक्तिशाली हैं। उनके क्रोध को शांत करने के लिए भगवान शिव को उनके पैरों के नीचे आना पड़ा। माना जाता है कि उस समय से पूरी सृष्टि में काली मां के प्रभाव से अमावस की काली रात जैसी कालिमा छायी रहती है क्योंकि माता काली सभी रंगों का हरण कर लेती हैं।
भगवान विष्णु के अनेक रूप हैं, शालिग्राम भी उन्हीं में से एक है। वहीं शालिग्राम पत्थर को बहुत ही विशेष माना गया है। जन्माष्टमी के समय भी शालिग्राम पत्थर का अभिषेक किया जाता है। इसी कारण घर में भी शालिग्राम पत्थर रखा जाता है। यह घर की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।
महादेव का रंग भी काला है। मंदिरों में स्थित शिवलिंग का रंग भी काला होता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के आधार पर शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से लोगों की मनोकामना पूरी होती है।