बिलासपुर : सिरगिट्टी में तीन साल की मासूम से दुष्कर्म और हत्या के मामले में हाईकोर्ट की पहल और दखल के बाद शासन-प्रशासन हरकत में आया। राज्य विधिक प्राधिकरण के माध्यम से ढाई लाख रुपये का मुआवजा परिजन को दिए जाने की जानकारी कोर्ट को दी गई। इसके बाद इस मामले में हाईकोर्ट ने राज्य विधिक प्राधिकरण (सालसा) से पूछा है कि प्रदेश में इस तरह के और कितने मामले हैं। जिनमें मुआवजा नहीं मिला है। कोर्ट ने इसकी पूरी जानकारी सहित रिपोर्ट दो सप्ताह में पेश करने के निर्देश दिए।
गौरतलब है कि बिलासपुर में सिरगिट्टी क्षेत्र में तीन साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या की वारदात हुई थी। मामले में आरोपी भी नाबालिग है। बच्ची का परिवार आरोपी के घर किराये पर रहता है। पुलिस ने मामले में केस दर्ज करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। हाईकोर्ट ने मामले में स्वत: संज्ञान लिया था। ध्यान रहे कि इस घटना के बाद लोगों ने आंदोलन भी किया था।अधिकारियों ने इस दौरान 10 लाख रुपये देने की घोषणा की थी। इसमें ढाई लाख रुपए तत्काल और बाकी साढ़े सात लाख रुपये प्रकरण के फैसले के बाद मिलना है। ढाई लाख रुपए देने में भी देरी की गई।
परिजन के मुताबिक, उधार लेकर अंतिम संस्कार किया गया। हाईकोर्ट ने मामले में राज्य शासन से जवाब मांगा था। हाईकोर्ट की दखल के बाद मुआवजे के साथ ही दूसरी प्रक्रियाओं में तेजी आई। बुधवार को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया था कि दुष्कर्म पीडि़ता बच्ची को ढाई लाख रुपए का मुआवजा दो दिनों में देते हुए इसकी जानकारी कोर्ट का उपलब्ध कराई जाए। शुक्रवार को हुई सुनवाई में विधिक प्राधिकरण की ओर से बताया गया कि परिजन को ढाई लाख रुपए की मुआवजा राशि दे दी गई है।
इस पूरे मामले में पुलिस और प्रशासन की लापरवाही सामने आई थी। तत्काल दी जाने वाली राशि भी पीड़ितों को नहीं मिली थी। इस बारे में मीडिया में खबरें आई थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा था। तीन अप्रैल को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के बाद दो दिन के भीतर मुआवजा देने का आदेश दिया था। आदेश का उसी दिन पालन करते हुए पीड़िता की मां को ढाई लाख रुपये का चेक सौंप दिया गया। राज्य विधिक सहायता प्राधिकरण की ओर से कहा गया कि बाकी साढ़े सात लाख रुपए प्रकरण में फैसला आने के बाद दिया जाएगा।