छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में आबकारी मंत्री रहे कवासी लखमा को बुधवार को करोड़ों रुपये के शराब घोटाले के आरोप में ईडी ने गिरफ्तार किया है. इसे लेकर छ्त्तीसगढ़ में सियासी हलचल तेज हो गई है. राज्य के पूर्व सीएम भूपेश बघेल की प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने इसे बदले की भावना से की गई कार्रवाई बताया है. आइये जानते हैं कौन हैं कवासी लखमा जो हमेशा ही सुर्खियों में छाए रहते हैं.
कौन हैं कवासी लखमा?
छत्तीसगढ़ के सियासी गलियारों में कवासी लखमा एक चर्चित नाम है. वे मूलरूप से बस्तर के रहने वाले हैं. यह जिला राज्य का सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित जिला है. कवासी लखमा कभी स्कूल नहीं गए लेकिन आदिवासी जीवन के बारे में अपने अनुभव से उन्होंने बहुत कुछ सीखा है और यही वजह है कि साल 2018 में भूपेश बघेल सरकार ने उन्हें आबकारी मंत्रालय का जिम्मा सौंपा था.
कवासी लखमा ने अपने बारे में बात करते हुए एक बार बताया था “मैं स्कूल नहीं गया और एक गरीब परिवार में पैदा हुआ था, लेकिन फिर भी भारत की सबसे बड़ी पार्टी ने मुझे चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया. व्यापारी वर्ग, गरीब और युवा सहित समाज के सभी वर्गों के लोग मुझे प्यार करते हैं”.
कवासी लखमा साल 1998 में पहली बार कोंटा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे, उस वक्त छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था. इसके बाद वे साल 2003, 2008, 2013 और 2018 में फिर चुने गए. मंत्री बनने पर जब उनसे पूछा गया कि वह अपने कार्यकाल में फाइलों पर हस्ताक्षर कैसे करेंगे? तो इस पर लखमा का जवाब था कि भगवान ने उन्हें बुद्धि दी है और वह इसका उपयोग करेंगे.
बीती लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने कवासी लखमा को बस्तर लोकसभा सीट से प्रत्याशी घोषित किया था. हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा. कवासी लखमा कोंटा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. उन्होंने विधानसभा चुनाव में पांच बार जीत दर्ज की है.
क्या है शराब घोटाला?
छत्तीसगढ़ में ईडी शराब घोटाले की जांच कर रही है. ईडी का कहना है कि यह घोटाल दो हजार करोड़ रुपये का है. इससे पहले ईडी ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के बेटे हरीश कवासी समेत उनके दो करीबियों के मकान में छापेमारी की थी.
सुर्खियों में छाए रहते हैं कवासी लखमा ?
कवासी लखमा सुकमा जिले के दरभा घाटी में कांग्रेस के काफिले पर 2013 में हुए नक्सली हमले में एकमात्र जीवित व्यक्ति थे. नक्सली हमले में कवासी लखमा बाल बाल बच गए थे. इस घटना को लेकर बीजेपी ने कवासी लखमा का नार्को टेस्ट कराने की मांग की थी ताकि सच्चाई सामने आ सके. बता दें कि इस हमले में राज्य के पूर्व मंत्री महेंद्र कर्मा और छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रमुख नंद कुमार पटेल और विद्या चरण शुक्ला सहित 27 से अधिक लोग मारे गए थे.
पीएम मोदी पर विवादित बयान
लोकसभा चुनाव के दौरान बस्तर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कवासी लखमा पर एफआईआर दर्ज किया गया था, दरअसल पुलिस ने पीएम मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में उन पर केस दर्ज किया था.