कब है साल 2024 में जया एकादशी, जानिए पूजा विधि और व्रत की पौराणिक कथा

जया एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। पूजा में श्रीहरि को फूल, अक्षत, रोली और सुंगर्धित पदार्थ अर्पित करना चाहिए। जया एकादशी का व्रत पुण्यदायी होता है। इस दिन व्रत रखने से जातक को भूत-प्रेत और पिशाच योनियों में जाने का डर नहीं रहता। पंचांग के अनुसार, इस साल जया एकादशी 20 फरवरी को है।

जया एकादशी 2024 व्रत पूजा विधि

जया एकादशी के दिन जातक को सात्विक भोजन खाना चाहिए। संयमित और ब्रह्मचार्य का पालन करना चाहिए। सुबह उठकर स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें। श्रद्धापूर्वक श्रीकृष्ण की पूजा करें। रात्रि में जागरण के साथ श्रीहरि के नाम के भजन करना चाहिए। द्वादशी के दिन ब्राह्मण को भोजन और दक्षिण देकर व्रत का पारण करना चाहिए।

जया एकादशी व्रत की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने धर्मराज युद्धिष्ठिर के आग्रह पर जया एकादशी के व्रत के महत्व के बारे में बताया था। कथा के अनुसार, देवराज इंद्र की सभा में उत्सव चल रहा है। देव, संत और दिव्य पुरुष उत्सव में शामिल थे। उस समय गंधर्व गीत गा रहे थे। गंधर्व कन्याएं नांच रही थीं। इन्हीं में एक माल्यवान नामका गंधर्व था, जो बहुत मीठा और सुरीला गाता है। वहीं, गंधर्व कन्याओं में एक सुंदर पुष्यवती नृत्यांगना थी। पुष्यवती और माल्यवान एक-दूसरे को देखकर होश खो बैठते हैं और अपनी लय से भटक जाते हैं। इस कृत्य से इंद्र नाराड हो जाते हैं। उन्हें मृत्यु लोक में पिशाच का जीवन भोगने का श्राप देते हैं।

श्राप के प्रभाव से दोनों प्रेत योनि में चले गए। पिशाची जीवन पाकर दोनों बहुत दुखी थे। एक दिन माघ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी का दिन था। दोनों ने एक बार ही फलाहार किया। भगवान से प्रार्थना कर पश्चाताप कर रहे थे। इसके बाद दोनों की मृत्यु हो गई। अंजाने में उन्होंने एकादशी का उपवास किया। इसके प्रभाव से प्रेत योनि से मुक्ति मिल गई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button