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क्या होती है प्राण प्रतिष्ठा, जानिए विधि, महत्व, मुहूर्त, दर्शन व आरती का समय

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रामलला की मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम आज होगा। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के गर्भगृह में भगवान श्रीराम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इस भव्य कार्यक्रम को लाखों भारतीय टीवी और यूट्यूब पर लाइव देख पाएंगे। प्राण प्रतिष्ठा समारोह का अनुष्ठान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चुनिंदा संतों द्वारा संचालन किया जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा क्या होती है। इस बारे में अधिकतर लोग नहीं जानते है। आइए आपको बताते हैं कि मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा क्यों जरूरी है। इसकी विधि क्या है।

प्राण प्रतिष्ठा क्या है?

प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ है जीवन देना। इसका उपयोग धार्मिक संदर्भ में सनातन धर्म में पूजा स्थल पर मूर्ति स्थापित करते समय किया जाता है। प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ वेदों और पुराणों में स्थापित अनुष्ठानों के माध्यम से एक प्रतिमा को देवता में बदलना है।

प्राण प्रतिष्ठा की विधि

जिस भगवान की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। उसे गंगा जल व पवित्र नदी से जल से स्नान करवाया जाता है। फिर साफ कपड़े से मूर्ति को पोछते हैं। प्रतिमा को नवीन वस्त्र धारण करवाते हैं। मूर्ति को आसन पर विराजमान करके चंदन का लेप लगाया जाता है। इसके बाद विधिवत श्रृंगार होता है। मंत्रोचार के बाद प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। प्राण प्रतिष्ठा के पहले दिन मूर्ति का नगर में विधिवत यात्रा करवाई जाती है। भगवान को भोग लगाया जाता है।

प्राण प्रतिष्ठा का महत्व

प्राण प्रतिष्ठा के बिना मूर्ति की पूजा नहीं होती है। जिस देवी-देवता की प्राण प्रतिष्ठा होती है। वह आवतारिक स्वरूप हो जाता है। यह भगवान के साकार स्वरूप की आराधना का श्रेष्ठ तरीका है। मंदिरों में भगवान की मूर्ति स्थापित करने से पहले उसकी प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। कहते हैं कि ऐसा मूर्ति में प्राण आ जाते हैं। वह पूज्यनीय हो जाती है।

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त और दर्शन का समय

प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी को दोपहर 12.15 से 12.45 बजे के बीच होगा। भक्त सुबह 7 बजे से 11.30 बजे तक और दोपहर 2 बजे से शाम 7 बजे तक रामलला के दर्शन कर सकेंगे।

राम मंदिर आरती का समय

आरती दिन में तीन बार की जाएगी। सुबह 6.30 बजे श्रृंगार आरती, दोपहर 12 बजे भोग आरती और शाम 7.30 बजे संध्या आरती होगी।

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