छत्तीसगढ़ के इस गांव में आजादी के बाद पहली बार वोटिंग, चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बल तैनात

रायपुर/सुकमा : भारत को आजाद हुए भले ही 77 साल हो चुके हैं, लेकिन कई गांव आज भी ऐसे हैं जो अब तक ‘लोकतंत्र के पर्व’ चुनाव से कई मील दूर थे. इनमें से एक है छत्तीसगढ़ के सुकमा जिला के कोंटा ब्लॉक का पूवर्ती गांव. 90 फीसदी नक्सल प्रभावित इस गांव में आजादी के बाद पहली बार चुनाव हो रहे हैं. छत्तीसगढ़ त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तीसरे चरण के दौरान यहां 23 फरवरी 2025 को पहली बार मतदान हुआ.

आजादी के बाद पहली बार चुनाव

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के अंतिम चरण में 23 फरवरी को सुकमा जिले के कोंटा ब्लॉक के पूवर्ती गांव में भी चुनाव हुए. कोंटा ब्लॉक का 90 फीसदी इलाका नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. पूवर्ती गांव खूंखार नक्सली नेता और नक्सलियों की मिलेट्री बटालियन का हेड माड़वी हिडमा के पैतृक गांव है, जहां आजादी के बाद पहली बार मतदान हुआ.

मतदाताओं की लगी कतार, सुरक्षा बल तैनात

नक्सलग्रस्त इलाका होने की वजह से अब तक निर्वाचन आयोग पूवर्ती समेत दर्जनों गांवों के ग्रामीणों को वोटिंग के लिए सुरक्षित इलाकों में शिफ्ट करता रहा है. यह पहला मौका रहा, जब पूवर्ती जैसे बेहद नक्सल प्रभावित गांव में लोकतंत्र के महापर्व का आगाज पंचायत चुनाव से हुआ. यहां चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बल के जवान भी तैनात किए गए हैं.

बीते साल फरवरी महीने में पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण की अगुवाई में पूवर्ती में सुरक्षा कैंप खोला गया था. इसके बाद से इलाके की तस्वीर बदलती नजर आ रही है. मतदान के लिए सुबह से मतदाताओं की लंबी कतार लगी हुई है.

100 से अधिक गांवों में पहली बार वोटिंग

बस्तर दौरे पर पहुंचे प्रदेश के डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने बताया कि पहली बार सुकमा और बीजापुर जिले के कई अति संवेदनशील गांवों में वोटिंग हो रही है. पूवर्ती जैसे गांव कुछ वक्त पहले तक नक्सलियों की राजधानी कहे जाते थे, लेकिन इन इलाकों में कैंप खुलने के बाद यहां की तस्वीर बदली है. पहली बार अपने गांव में ही ग्रामीण वोट डाल पा रहे हैं.

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