नई दिल्ली। अरुण योगीराज भगवान राम के बाल रूप रामलला की मूर्ति बनाकर बेहद खास बन चुके हैं। मैसूरु के शिल्पकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई रामलला की मूर्ति को अयोध्या में राम मंदिर में स्थापना के लिए चुना गया है। योगीराज द्वारा बनाई गई रामलला की नई 51 इंच की मूर्ति को पिछले गुरुवार को मंदिर के गर्भगृह में रखा गया था। इस मौके पर मूर्तिकार अरुण योगीराज ने सोमवार को कहा, “मुझे लगता है कि मैं इस धरती पर सबसे भाग्यशाली व्यक्ति हूं… कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं सपनों की दुनिया में हूं।”
अयोध्या में भगवान श्रीराम की प्रतिमा लग चुकी है। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह संपन्न हो चुका है। मुख्य यजमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गर्भगृह में पूजा-अर्चना की। इस दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल मौजूद रहीं।
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पूरी होने पर पूरी अयोध्या नगर में हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की जा रही है। इस मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद रहे। अयोध्या में राम मंदिर में भगवान राम की मूर्ति काफी खूबसूरत बनाई गई है। मूर्ति में भगवान के चेहरे पर गजब का तेज नजर आ रहा है, साथ ही बच्चे जैसी मासूमियत भी। इस मूर्ति की ऊंचाई करीब 51 इंच और वजन 150 किलोग्राम है।
#WATCH | Ayodhya, Uttar Pradesh: Ram Lalla idol sculptor, Arun Yogiraj says "I feel I am the luckiest person on the earth now. The blessing of my ancestors, family members and Lord Ram Lalla has always been with me. Sometimes I feel like I am in a dream world…" pic.twitter.com/Eyzljgb7zN
— ANI (@ANI) January 22, 2024
क्यों श्याम रंग की है रामलला की मूर्ति?
अयोध्या राम मंदिर की मूर्ति श्याम रंग की है। इसे लेकर कई लोगों के मन में ये भी सवाल उठ रहा होगा कि आखिर क्यों राम मंदिर में श्याम वर्ण की मूर्ति लगाई जा रही है। दरअसल, रामायण में भी कहा गया है कि प्रभु श्रीराम श्याम वर्ण के थे और इसलिए इस रंग की मूर्ति को ज्यादा महत्व दिया गया है। भगवान श्रीराम की स्तुति मंत्र में भी कहा गया है: ‘नीलाम्बुज श्यामल कोमलांगम सीतासमारोपित वामभागम्। पाणौ महासायकचारूचापं नमामि रामं रघुवंशनाथम्।।’
इसका मतलब है कि नीलकमल के समान श्याम और कोमल जिनके अंग हैं, सीता जी जिनके वाम भाग में विराजमान हैं, जिनके हाथों में अमोघ बाण और सुंदर धनुष है, उन रघुवंश के स्वामी श्रीरामचंद्र जी को मैं नमस्कार करता हूं। अर्थात् श्रीराम जी श्याम वर्ण के हैं।