VIDEO : भगवान भरोसे चल रहे जगदलपुर शहर के पांच “हमर क्लिनिक” वार्डवासियो को नहीं मिल रहा स्वास्थ्य लाभ

जगदलपुर : शहर में अप्रैल 2022 से भूपेश बघेल की सरकार ने दिल्ली केजरीवाल सरकार की तर्ज पर मोहल्ला क्लिनिक की तरह हमर क्लिनिक छत्तीसगढ़ की जनता को स्वास्थ्य लाभ दिए जाने शुरू किए थे, जिसे वर्तमान भाजपा की सरकार ने आयुष्मान आरोग्य मंदिर का नाम दिया गया है…
जगदलपुर शहर में कुल-05 यह आरोग्य मंदिर संचालित तो हो रहे है, परन्तु अव्यवस्थाओं के बीच इस पुरे एक सेटअप में कई स्वास्थ्य जाँच शामिल हैं जिसका मुख्य उद्देश्य आम जनता को जिला अस्पताल में बढ़ती भीड़ से होने वाली असुविधाओं से बचाने के साथ ही अपने घर के नजदीक महोल्ले में ही स्वास्थ्य जाँच का लाभ लिए जाने खोला गया है… पर जगदलपुर शहर के गंगामुंडा वॉर्ड मे पिछले 2-वर्षो से स्वास्थ्य चिकित्सक ही नहीं है, फिर सोचने वाली बात है की जनता को स्वास्थ्य लाभ कैसे मिल पर रहा होगा…
जहाँ गंगामुंडा वार्ड मे पदस्थ चिकित्सक को पिछले 2-वर्षों से अन्य स्थान पर अटैच किया गया है पर वेतन इन्हें हमर किलिनिक मद से ही दिया जा रहा है, इस एक किलिनिक के संचालन मे प्रति माह स्टॉफ को मिलने वाली वेतन मे जनता द्वारा दिए गए टैक्स का पुरे 2-लाख रूपये खर्च हो रहे है साथ ही पब्लिक को हमर किलिनिक की ओर आकर्षित किये जाने अन्य गतिविधियों के लिए प्रति माह 10-हजार रूपये जनता के टैक्स से दिया जा रहा है, शहर के अन्य हमर किलिनिक मे जिन चिकित्सकों की ड्यूटी लगाई गई है अक्सर वें अपने ड्यूटी टाईम नदारद रहते है जिसका पूरा जिम्मा ANM के भरोसे होता है आपको बता दे ANM किसी भी प्रकार से मेडिसिन दिए जाने को योग्य नहीं है फिर इस तरह आम जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कैसे कर सकता है स्वास्थ्य विभाग…
इस तरह पब्लिक कर का दुरपयोग और गंदगी में पसरे जब हमर किलिनिक के संचालन व्यवस्था के लिए जिम्मेदार अधिकारी DPM से बात की गई तो उन्होंने गोलमोल जवाब के साथ ही हर बार की तरह बचते बचाने वाली पद्धति अपनाई, चलिए सारी बातों को गर दरकिनार कर भी दिया जाए तो सबसे छोटी पर महत्वपूर्ण बात हमर किलिनिक का संचालन टाईम क्या है शहर के पांच किलिनिक मे कहीं भी कोई सही जवाब नहीं न ही इस सवाल पर DPM डाक्टर रीना ने ही कोई सटीक जवाब दिया, नियमानुसार हमर किलिनिक का संचालन प्रति दिन 2-पालियों में किया जाना है पर अक्सर हर बार की तरह सब अपनी मनमर्जी के तहत जब मन किया क्लिनिक खोल दिया जब मन बंद कर दिया कुछ पूछने पर वहीं डर्रा जो हर बार सरकारी विभाग खुद को बचाने दिया करते हैं स्टॉफ की कमी और अन्य स्थान पर शिविर ट्रेनिंग का हवाला देकर अपने ड्यूटी से नदारत सरकारी अधिकारी /कर्मचारी को बचाने का बहाना….