कांकेर : जिला मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूर दुर्गुकोंदल ब्लॉक के तुड़गे गांव समेत आस पास के अन्य गांव से हैरान करने वाला मामला सामने आया है, निजी फाइनेंस कंपनियों ने पहले तो ग्रामीणों को समूह बनाकर उन्हें लोन दिया फिर जब ग्रामीण कुछ माह का किस्त नहीं जमा कर पाए तो फाइनेंस कंपनियों के एजेंट ग्रामीणों के घरों में घुस रहे है, उन्हें धमका रहे है, बच्चों को बेचकर किस्त जमा करने कह रहे है, जिससे घबराए ग्रामीण जिला मुख्यालय पहुंचे और प्रशासन से मामले की शिकायत की है, मामला सामने आने के बाद मीडिया की टीम उन गांव तक पहुंची जहां फाइनेंस कंपनियों ने आतंक मचा रखा है, मौके पर पहुंचने के बाद जो स्तिथि देखने को मिली वो बेहद चिंतनीय है, नक्सल प्रभावित अंदरूनी इलाकों में निजी फाइनेंस कंपनियों का सिंडीकेट फैला हुआ है, इस मकड़जाल में निजी फाइनेंस कंपनियों ने ग्रामीणों को इस कदर जकड़ लिया है कि ग्रामीण अपनी जमीन बेचकर किस्त जमा कर रहे है, निजी फाइनेंस कंपनियों ने इतना दबाव बनाया कि आमकड़ा के एक ग्रामीण ने आत्महत्या कर ली, वही एक अन्य ग्रामीण के घर में घुसकर उन्हें उनके बच्चों को बेचने की धमकी दी है, जिससे ग्रामीण बुरी तरह डरे हुए है।
रिकवरी के नाम पर फाइनेंस कंपनियों के कर्मचारी, आरबीआई की गाइडलाइ का पालन तो दूर, सीधे लोगो को धमका रहे है. महिलाओं की माने तो एक क़िस्त भी छूट जाने पर रिकवरी एजेंट उनके घर पहुंच कर उन्हें धमकाते है. यही नहीं बच्चे को बेचकर पैसा जमा करने की बात कही जा रही है. ये रिकवरी एजेंट पैसा वसूलने के नाम पर महिलाओं को अपमानित कर रहे है.
दरअसल कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर, दुर्गुकोंदल क्षेत्र की महिलाएं कलेक्टर से शिकायत करने मुख्यालय पहुंची थी. मीडिया के टीम मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर ग्राम चवेला और तुड़गे पहुंची. यहाँ शिकायत करने वाले लोगो से मुलाकात हुई उन्होंने बताया कि किस तरह फाइनेंस कम्पनियों के रिकवरी एजेंट उनके साथ किस तरह व्यवहार करते है.
गोद में बच्चा लिए महिला है शारदा पटेल का कहना है इन्होंने भी एक फाइनेंस कम्पनी से लोन लिया है. कुछ राशि इन्होंने जमा भी की. इस दौरान कुछ महीने राशि जमा करने छूट गए. रिकवरी एजेंट इनके पास पहुंचे और इन्हें कही से भी पैसा जमा करने कहते रहे. लेकिन एक दिन तो हद हो गई. कम्पनी के एजेंटों ने बच्चों को बेचकर पैसा जमा करने कह डाला और तो और अभद्र भाषा का प्रयोग करने लगे. जमा नहीं करने पर घर के समान उठा कर ले जाने धमकी दी.
परमेश्वरी टांडिया गर्भवती है. पेट में 7 माह का एक बच्चा पल रहा है. महिला का कहना है कि इस तरह का व्यवहार उन्हें बहुत बेकार लगता है. पैसा निकाले है तो जमा हम जरूर करेंगे. लेकिन उनकी बत्तमीजी बहुत ज्यादा बढ़ गई है. पुलिस थाना में बैठने धमकी दी जाती है. इस संबंध में थाना में भी शिकायत की गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. एजेंट सामानों को लेकर जाने की धमकी देते है ।वही एक अन्य महिला सावित्री टांडिया ने अपनी दो एकड़ जमीन बेचकर किस्त जमा किया है, इसके बाद भी पूरी किस्त जमा नहीं कर पाई है, और उन्हें रोजाना फाइनेंस कंपनी के एजेंट प्रताड़ित करने उनके घर पहुंच जा रहे है।
मामले कि कवरेज के दौरान हमारी मुलाकात मौके पर ही अचानक पहुंचे फाइनेंस कंपनी के रिकवरी एजेंट से हो गई. हमने उनसे पैसा रिकवरी के नाम पर डराए धमकाए जाने, की बात कही तो उन्होंने कहा कि हमारे द्वारा किसी को डराया धमकाया नहीं जाता है. अगर कोई बोल दे मेरे द्वारा धमकाया जाता है तो मैं अपनी नौकरी छोड़ दूंगा और 6 महीने तक इनके खाना का खर्चा मैं उठाऊंगा.
वही इनके साथ इनके मैनेजर माहेश्वर साहू भी थे जिनसे सवाल करने पर उन्होंने पहले तो खुद को मैनेजर मानने से इनकार के दिया लेकिन ग्रामीणों ने बताया कि यह एक फाइनेंस कंपनी के मैनेजर है. हमने जब उनसे सवाल किया तो वह उल्टे पत्रकारों से ही उलझने लगे कम्पनी का नाम शिकायत में नहीं होनी की बात कहते हुए शिकायत कॉपी दिखाने की जिद करने लगे. लेकिन जब पत्रकारों ने शिकायत कॉपी में कम्पनी का नाम दिखाया तो उनके सुर बदल गए और कहने लगे कि मेरे यहाँ कोई इस तरह का व्यवहार नहीं करता है.
अब जरा आरबीआई के नियमों को भी जान लीजिए. आरबीआई के नियमों के अनुसार, किसी भी रिकवरी एजेंट को घर आने से पहले ग्राहक को होम विजिट लेटर देना चाहिए लेकिन यहां नियमों की धज्जियाँ उड़ाते हुए बिना किसी विजिट लेटर के सुबह 6 बजे से घरों पहुंच जाते है. जो कि 9 बजे तक रहते है. महिलाओं ने कहा, ये लोग सुबह- सुबह हमारे घर आते हैं. इससे हमारे घर के दूसरे काम नहीं हो पाते. आरबीआई का नियम है कि सुबह 8 बजे पहले और शाम 7 बजे के बाद कोई कॉल नहीं करेगा, लेकिन ये लोग इस नियम का पालन नहीं करते. महिलाओं ने प्रशासन से मांग की है कि रिकवरी एजेंटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. वे चाहती हैं कि उन्हें सुरक्षा मिले और उनके हक की रक्षा की जाए. इस पर प्रशासन की अपनी दलील है. प्रशासन का कहना है कि शिकायत के बाद उन्होंने एसडीएम से कहकर इसकी जांच करने के निर्देश दिए है.
इन सभी की बाते सुनने के बाद सवाल यही उठता है कि, क्या पैसे रिकवरी के नाम पर बच्चे बेचने की बात कहना, घर के सामने को लेकर जाने की बात कहना, थाने में बैठाए जाने की बात कहना, अभद्रता व अभद्र भाषा का प्रयोग करना क्या सही है.