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VIDEO : अब्दुल करीम उर्फ टुंडा बरी, 1993 सीरियल बम धमाकों के मामले में टाडा कोर्ट ने सुनाया फैसला

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जयपुर : राजस्थान के अजमेर जिले से बड़ी खबर सामने आ रही है। मिली जानकारी के अनुसार, 1993 के सीरियल बम ब्लास्ट केस में अजमेर की टाडा कोर्ट ने आतंकी अब्दुल करीम टुंडा को बरी कर दिया है। मामले में इरफान और हमीदुद्दीन को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है।

मामले को लेकर अजमेर टाडा कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि टुंडा के खिलाफ कोई डायरेक्ट एवीडेंस नहीं मिला है। इसलिए उन्हें बरी कर दिया।बता दें कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद 1993 में लखनऊ, कोटा, हैदराबाद, सूरत, कानपुर और मुंबई की ट्रेनों में सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे। इन्हीं ब्लास्ट में करीम टुंडा आरोपी था। बता दें कि इस मामले की सुनवाई बीते 30 सालों से चल रही थी। सुनवाई 21 फरवरी को पूरी हो गई थी। जानकारों के अनुसार, कोर्ट ने कहा है कि देश में जहां-जहां भी ब्लास्ट हुए वहां टुंडा की मौजूदगी नहीं मिली है।

सभी धाराओं और अधिनियम से टुंडा बरी

वकील शफकत सुल्तानी ने कहा कि अब्दुल करीम टुंडा निर्दोष है, आज कोर्ट ने ये फैसला सुनाया। अब्दुल करीम टुंडा को सभी धाराओं और सभी अधिनियमों से बरी कर दिया गया है। सीबीआई अभियोजन टाडा, आईपीसी, रेलवे अधिनियम, शस्त्र अधिनियम या विस्फोटक पदार्थ अधिनियम में अदालत के समक्ष कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सका। हम शुरू से कह रहे थे कि अब्दुल करीम टुंडा निर्दोष हैं…इरफान और हमीदुद्दीन को दोषी ठहराया गया है और जल्द ही उन्हें सजा सुनाई जाएगी।

बम धमाकों का था मास्टरमाइंड?

पूर्व में हुई मामले की सुनवाई में सीबीआई की ओर से न्यायालय में तर्क दिया गया था कि बम धमाकों का मास्टरमाइंड टुंडा था। उसने अन्य आतंकियों को बम बनाना सिखाया था। वहीं टुंडा के वकील का तर्क था कि वह निर्दोष है। उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी के बाद से अब तक सीबीआई ने टुंडा के खिलाफ अलग से कोई चार्जशीट पेश नहीं की है। जबकि पहले जो भी आरोपित गिरफ्तार हुए थे उनके खिलाफ चार्जशीट पेश की गई थी। उसको गिरफ्तार करने वाले अफसर भी न्यायालय में पेश नहीं हुए।

इरफान के वकील अब्दुल रशीद ने बताया कि टाडा कानून की विभिन्न धाराएं लगाई गई थी। मामले में प्रॉसिक्यूशन की तरफ से 430 गवाह पेश किए गए थे।

17 लोगों को सुनाई गई थी सजा

20 साल पहले 28 फरवरी, 2004 को टाडा न्यायालय ने ही मामले में 16 आरोपितों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने इनमें से चार आरोपितों मोहम्मद यूसुफ, सलीम अंसारी, मोहम्मद निसरूद्दीन और मोहम्मद जहरीरूद्दीन को बरी कर शेष की सजा बहाल रखी थी। इनमें से एक आरोपित जमाल अल्वी की जयपुर जेल में मौत हो गई और दो आरोपित निसार अहमद और मोहम्मद तुफैल फरार हैं। बचे हुए 9 आरोपित जेल में बंद हैं। जेल में बंद आरोपितों में से तीन टुंडा, इरफान और हमीरूद्दीन के मामले पर बृहस्पतिवार को फैसला सुनाया गया। इनमें टुंडा को बरी करने के साथ ही इरफान और हमीरूद्दीन को दोषी माना गया है।

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