हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। सभी देवी-देवताओं की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं। वहीं भक्त संकष्टी, एकादशी, नवरात्रि और रामनवमी के दौरान व्रत भी रखते हैं। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि वास्तु शास्त्र में पूजा को लेकर कुछ नियम हैं। आइए जानते हैं।
क्या है पूजा की सही दिशा?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा करते समय जातक का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। इनमें पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करना श्रेष्ठ माना गया है। यह दिशा शक्ति और शौर्य का प्रतीक है।
वास्तु शास्त्र में पूजा करे लिए पूर्व की ओर मुख करके बैठना ज्ञान प्राप्ति के लिए अच्छा माना जाता है। इस दिशा में बैठकर पूजा-अर्चना करने से शक्ति और ऊर्जा मिलती है।
इस दिशा में पूजा स्थल होने से घर में रहने वालों को सुख, शांति, धन और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
इस दिशा में पूजा स्थान बनाएं
घर में पूजा का स्थान उत्तर-पूर्व दिशा में बनाना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार यह दिशा शुभ मानी जाती है।
साथ ही घर के अंदर रखें मंदिर की ऊंचाई उसकी चौड़ाई से दोगुनी होनी चाहिए।
घर के अंदर पूजा घर बनवाते समय इस बात का ध्यान रखें कि उसके सामने बाथरूम नहीं होना चाहिए।
वहीं, घर की सीढ़ी के नीचे पूजा घर न बनाएं।