पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण के साथ तीन तीन बार विश्वविख्यात ग्रैमी अवार्ड से नवाजे गए उस्ताद जाकिर हुसैन ने विज्ञापन में ही वाह ताज… नहीं कहा, बल्कि ताजमहल उनके दिल में बसता था। वह 40 साल से आगरा और ताजमहल से जुड़े थे। रविवार 15 दिसंबर को भी वह आगरा में 11 सीढ़ी पार्क में प्रस्तावित कार्यक्रम में आने वाले थे, लेकिन बात बन नहीं पाई। ताज के साये में वह फिर से अपने तबले का जादू दिखाना चाहते थे, लेकिन उससे पहले ही अलविदा कह गए।
पिछले 40 साल से अमेरिका से लेकर भारत तक उनके साथ कई कार्यक्रमों में जुड़े रहे आगरा के गजल गायक सुधीर नारायण उन्हें याद करते हुए भावुक हो गए। उन्होंने बताया कि 15 दिसंबर को 11 सीढ़ी पार्क में ताजमहल के साए में वह कार्यक्रम करना चाहते थे। उस्ताद से तारीख की बात भी हो गई। लेकिन किसी वजह से यह संभव नहीं हो पाया। इस पर अगले साल आगरा आकर कार्यक्रम करने के लिए वह तैयार हुए थे लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। इनके निधन से संगीत जगत को भारी क्षति हुई है, जिसकी भरपाई नही हो सकेगी।