Union Budget 2025 : हर साल की तरह एक फरवरी वह पल भी आएगा, जब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में आम बजट पेश करेंगी. यह बजट न केवल आने वाले वित्तीय वर्ष के लिए देश के अनुमानित आय और व्यय को रेखांकित करता है, बल्कि आम जनता के जीवन से जुड़े पहलुओं को प्रभावित करेगा.
देश की आजादी के साथ 26 नवंबर, 1947 को भारत के पहले वित्त मंत्री आरके शानमुखम चेट्टी द्वारा शुरू किया गया यह सफर निर्बाध तरीके से निर्मला सीतारमण तक चला आ रहा है. यह केंद्रीय बजट 1 अप्रैल से शुरू होकर अगले साल 31 मार्च को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए देश के वित्तीय व्यवहार को तय करेगा.
केंद्रीय बजट प्रत्येक साल 01 फरवरी को पेश किया जाता है. हालांकि, चुनावी वर्षों में इसका रूप बदल जाता है. उस समय बजट दो बजट को दो भागों में पेश किया जाता है. चुनाव से पहले एक अंतरिम बजट और चुनाव परिणामों के बाद पूर्ण बजट के तौर पर.
इस सफर में कई बार रास्तों में बदलाव आया. वर्ष 1998 तक बजट फरवरी के आखिरी कार्य दिवस पर शाम पांच बजे पेश किया जाता था, लेकिन साल 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने बजट पेश करने का वक्त बदल दिया, और पहली बार इसको सुबह 11 बजे कर दिया है. चर्चा और कार्यान्वयन के लिए इसे अधिक व्यावहारिक समय मानते हुए बदलाव किया गया.
केंद्रीय बजट के माध्यम से विभिन्न सरकारी मंत्रालयों और विभागों को धन आवंटित किया जाता है. इस बजट में रक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, बुनियादी ढांचे और सब्सिडी जैसे क्षेत्रों का प्रबंधन करते हैं. विभागों की तैयारी के दौरान विभिन्न सरकारी विभागों, विशेषज्ञों और अन्य हितधारतों के साथ व्यापक चर्चा की जाती है.
बजट में दूसरा बड़ा बदलाव साल 2017- 18 में आया, जब बजट की प्रस्तुति तारीख को बदला गया और इसको 1 फरवरी को पेश किया जाने लगा. इसी समय से अलग से रेल बजट पेश करने की दशकों पुरानी परंपरा को भी समाप्त कर दिया गया.
बजट से पहले तमाम बैठकें की जाती हैं. इन बैठकों में राष्ट्र की आवश्यकताओं को ध्यान रखते हुए चर्चा की जाती है. केंद्रीय बजट भारत की आर्थिक नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. केंद्रीय बजट दो भागों में विभाजित किया जाता है. इसमें राजस्व बजट और पूंजी बजट होता है. राजस्व बजट में सरकार के दैनिक खर्चों की जानकारी जैसे परिचालन व्यय, वेतन, पेंशन और नियमित सेवाओं से संबंधित है.
पूंजी बजट का मुख्य उद्देश्य बुनियादी ढांचे के विकास, शैक्षिक परियोजनाओं और स्वास्थ्य सेवा पहल जैसे दीर्घकालिक निवेशों पर केंद्रित है. हालांकि, जब पूंजीगत व्यय राजस्व बजट से अधिक होता है तो राजकोषीय घाटा होता है. बजट से कर व्यवस्था से लेकर लोक कल्याण योजनाओं तक हर चीज को प्रभावित होती है. सामान्य भाषा में बजट एक ऐसा दस्तावेज है जो न केवल सरकार के काम को बल्कि देश के आम नागरिकों को भी प्रभावित करता है.