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Turkey Earthquake: भूकंप से रणनीति बदलने पर मजबूर हुए राष्ट्रपति एर्दोगन, अब जनता को क्या भरोसा दिला रहे?

नई दिल्ली : तुर्किये में बीते छह फरवरी को आए विनाशकारी भूकंप ने लाखों लोगों को बेघर कर दिया है। हजारों घर मलबे में ढेर में तब्दील हो चुके हैं। 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है और करीब 80 बिलियन अमरीकी डॉलर के नुकसान का अंदाजा लगाया गया है। तुर्किये ने अपने इतिहास में शायद ही इससे बड़ी मानवीय आपदा देखी हो, लेकिन इस विनाशकारी भूकंप ने तुर्किये के आगामी चुनाव में राष्ट्रपति एर्दोगन को अपनी रणनीति को पूरी तरह से बदलने को मजबूर कर दिया है।

दरअसल, ये चुनाव तुर्किये के आधुनिक इतिहास में सबसे प्रतीकात्मक, नाटकीय और महत्वपूर्ण हो सकते हैं, क्योंकि चुनाव के साथ-साथ तुर्किये गणराज्य की स्थापना के 100 साल भी पूरे हो रहे हैं। ऐसे में यह चुनाव यह तय करेंगे कि आने वाले दशकों में देश क्या करेगा और किस तरह से आगे बढ़ेगा।

चुनावी रणनीति बदलने पर मजबूर हुए एर्दोगन

तुर्किये की सत्ता पर राष्ट्रपति एर्दोगन करीब 22 साल से काबिज हैं। भूकंप के बाद इमारतों के निर्माण में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद उनकी सत्ता जाने का खतरा भी मंडराने लगा है, क्योंकि जनता से लेकर विपक्षी दल इसको लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं। ऐसे में उन्होंने अपनी चुनावी रणनीति को बदला है। छह फरवरी से पहले (भूकंप आने से पहले) राष्ट्रपति का चुनावी अभियान, बेतहाशा मुद्रास्फीति, तुर्किये की मुद्रा लीरा की गिरती कीमत, खाद्य पदार्थों और ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि पर केंद्रित थी, लेकिन अब उनकी रणनीति इस आपदा से लोगों को बाहर निकालने पर केंद्रित हो गई है।

अब क्या वादा कर रहे राष्ट्रपति एर्दोगन?

राष्ट्रपति एर्दोगन तुर्किए की जनता को अब यह भरोसा दिलाने की कोशिश कर रहे हैं कि केवल वही एक हैं, जो एक साल के अंदर नष्ट हुए घरों और शहरों का पुनर्निर्माण कर सकते हैं। वही हैं जो उन हजारों लोगों के लिए बेहतर स्थिति सुनिश्चित कर सकते हैं, जो बेघर हो गए हैं। एर्दोगन ने भूकंप प्रभावित उस्मानिया शहर के निवासियों से बात करते हुए कहा, आप हमें एक वर्ष दीजिए। एक वर्ष के भीतर, हम स्थायी घरों का निर्माण करेंगे और अपने नागरिकों को बसाएंगे। हमारा लक्ष्य है कि हम हमारे शहरों, गांवों को एक साल के भीतर पुनर्जीवित करें। हालांकि, 270,000 आवास इकाइयों का पुनर्निर्माण करना और 230 मिलियन टन मलबे को हटाना बेहद मुश्किल होगा। इसके बावजूद राष्ट्रपति एर्दोगन चाहते हैं कि लोग इस बात पर भरेसा करें कि केवल वही हैं, जो ऐसा कर सकते हैं।

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