यहाँ पैसे नहीं, लिया जाता है श्रमदान : गाये सुनती है भजन-कीर्तन, कहा है ये गौ मंदिर

रायपुर : छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित श्री राधा माधव गौ मंदिर ने नकद दान पर प्रतिबंध लगाकर एक अनूठी पहल की है। इस मंदिर में भक्तजन केवल अपना श्रम, सेवा और समय दान करके पुण्य कमा सकते हैं। रायपुर और देश-विदेश से श्रद्धालु इस मंदिर में अपनी सेवाएं देने पहुंच रहे हैं।
यहां प्रतिदिन सुबह-शाम गाय की आरती की जाती है तथा संगीतमय तरीके से गायों के लिए भजन गाए जाते हैं। इसके अलावा पंडित गाय माता के बीच मंत्रोच्चार भी करते हैं। लेकिन इस गौ मंदिर को अन्य गौशालाओं से अलग बनाने वाली बात यह है कि यहां नकद दान स्वीकार नहीं किया जाता।
श्री राधा माधव गौ मंदिर रायपुर शहर से 16 किलोमीटर दूर गुमा बाना गांव में स्थित है। मंदिर की देखभाल करने वाले आदेश सोनी बताते हैं कि यहां केवल श्रमदान, समयदान और सेवादान ही स्वीकार किया जाता है। किसी से भी नकद दान स्वीकार करना सख्त मना है। जो लोग गाय की सेवा करना चाहते हैं, उन्हें स्वयं यहां आकर सेवा करनी होगी।
लोग यहाँ मंदिर में सेवा करने आते हैं। वे गायों को नहलाना, चारा तैयार करना, गौशाला की सफाई करना, बछड़ों की देखभाल करना और गाय का गोबर साफ करना जैसे कार्य करते हैं। बछड़ों को गोद में लेना, उन्हें बोतल से दूध पिलाना और गाय की आरती में भाग लेना भी इस सेवा का हिस्सा है। इस मंदिर के नियम और सेवा भावना को देखकर लोग लगातार इससे जुड़ रहे हैं।
गायों की सेवा करने के लिए लोग विदेशों से आ रहे हैं।
गौ मंदिर की अनूठी कार्यप्रणाली को देखकर अब न केवल रायपुर बल्कि देश के अन्य राज्यों और मलेशिया और ब्रिटेन जैसे देशों से भी लोग यहां सेवा के लिए आ रहे हैं। मंदिर प्रशासन ने अन्य राज्यों से आने वाले लोगों के लिए नि:शुल्क आवास की भी व्यवस्था की है।
12 एकड़ में फैले इस गौ मंदिर में 350 से अधिक गायों की सेवा की जाती है।
यह गौ मंदिर 12 एकड़ भूमि पर फैला हुआ है और इसमें 350 से अधिक गायें हैं। सभी गायों को बचाकर यहां लाया गया है। इसमें 50 से अधिक विकलांग लोग, 60 से अधिक बिस्तर पर पड़े लोग और 20 से अधिक बछड़े रहते हैं। इसके अलावा, कई गायें पूरी तरह से ठीक हो गई हैं।
इसे किसने बनाया?
इस मंदिर का निर्माण सुरेश जिंदल परिवार ने वर्ष 2023 में अपने माता-पिता की याद में करवाया था। मंदिर का पूरा खर्च भी सुरेश जिंदल परिवार द्वारा वहन किया जाता है। शुरू में केवल गांव के लोग ही सेवा करते थे। अब बाहर से लोग बड़ी संख्या में आ रहे हैं और अपना कीमती समय गाय की सेवा में लगा रहे हैं। इस मंदिर ने गौ सेवा का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है। देश के अधिकांश भागों में गौशालाएं केवल दान पर ही चलती हैं। लेकिन यहां सेवा को सबसे बड़ा दान माना जाता है। यही कारण है कि यह स्थान दिन-प्रतिदिन प्रसिद्ध होता जा रहा है और गौभक्त बड़ी संख्या में यहां आकर गौ सेवा का हिस्सा बन रहे हैं।