इंदौर। कोई वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अपराध की गुत्थियों या बड़े मामलों को सुलझाने के लिए उन्हें किस नजर से देखते हैं, यह जानना बड़ा रोमांचक हो सकता है। ऐसे ही रोमांच के साथ इंदौर में बतौर आईजी पदस्थ रहे आईपीएस (अब सेवानिवृत्त) शैलेंद्र श्रीवास्तव ने एक पुस्तक लिखी है, नाम है ‘शेकल द स्ट्रोम’।
इस किताब में अपराध की अंधेरी दुनिया की ऐसी-ऐसी रोमांचक कहानियां हैं, जिनमें अपराधी के सोचने, योजना बनाने, अपराध करने और फिर पुलिस के हत्थे चढ़कर जेल की सलाखों तक पहुंचने की सच्ची घटनाएं हैं। मसलन, वर्ष 2005 में इंदौर में हुए चर्चित नीतेश नागौरी अपहरण कांड का उल्लेख इस किताब में है।
चार करोड़ रुपये की फिरौती के लिए किए गए इस अपहरण के बारे में किताब यह भी बताती है कि अंडरवर्ल्ड सरगना दाउद इब्राहीम की बेटी माहरुख की शादी में उसका लहंगा सिलने वाला टेलर इस्माइल इस अपहरण कांड का मास्टरमाइंड था।
क्या था वह किडनैप मामला, किताब में बताया
1986 बैच के आईपीएस शैलेंद्र श्रीवास्तव के मुताबिक, मैंने तब बतौर इंदौर आईजी ज्वाइन किया था। जब अपहरण की यह घटना हुई, उस वक्त मैं इंटेलिजेंस एडीजी एसके राउत के पास भोपाल में बैठा था।
राउत मुझे इंदौर की आबोहवा से अवगत करवा रहे थे, तभी इंदौर के तत्कालीन एसपी आदर्श कटियार का फोन बजा। उन्होंने बताया कि बड़े सीमेंट कारोबारी के बेटे का अपहरण हुआ है।
मैंने डीजीपी स्वराज पुरी को घटना बताई और तुरंत भोपाल से इंदौर रवाना हुआ। बाद में नीतेश के दोस्त ध्रुव और कथित सहयोगी गौरव को सितंबर 2005 में इस्माइल की मदद के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
ध्रुव ने पूछताछ में शिवपुरी के इस्माइल को मास्टरमाइंड बताया था, जो मोस्ट वांटेड दाउद के सिपहसालार गैंगस्टर आफताब आलम का करीबी था। दोनों अब तक फरार हैं।
दुल्हन का गाउन सिलकर मक्का भिजवाया
यह वही इस्माइल है, जिसने माहरुख के लिए दुल्हन का गाउन सिलकर मक्का भिजवाया था। बाद में गैंगस्टर आफताब 1997 में मुंबई से भागकर दुबई शिफ्ट हो गया, जबकि इस्माइल को दुबई में नौकरी, फिरौती में कमीशन और गाउन सिलने के लिए एक करोड़ रुपये देने की डील हुई थी।
बता दें कि 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी शैलेंद्र श्रीवास्तव मप्र पुलिस में 34 साल की नौकरी के बाद सेवानिवृत्त हुए हैं। वह एमपी पुलिस हाउसिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन में अध्यक्ष भी रहे हैं।