इस वृद्धि के पीछे कई कारण हैं, जिनमें शेयर बाज़ार में उछाल, कुछ क्षेत्रों में मज़बूत मुनाफ़ा और प्रतिभाओं की भारी माँग शामिल है, जिसके कारण वेतन में बढ़ोतरी हुई है.
पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद् और अर्थशास्त्री प्रणब सेन कहते हैं, “महामारी के दौरान सभी क्षेत्र समान रूप से प्रभावित नहीं हुए. जहाँ छोटे और मध्यम उद्योग प्रभावित हुए, वहीं बड़ी कंपनियाँ मुनाफ़े में रहीं, जिससे उनके शीर्ष अधिकारियों को फ़ायदा हुआ.”
शेयर बाज़ार में भारी उछाल एक अहम कारण रहा है. बीएसई सेंसेक्स मार्च 2020 में 29,000 से बढ़कर मार्च 2024 तक 73,000 को पार कर गया, जिससे निवेशकों की आय में भारी वृद्धि हुई.
ईवाई के वरिष्ठ सलाहकार सुधीर कपाड़िया के अनुसार, नए करोड़पति करदाताओं में निवेशक, सफल स्टार्टअप संस्थापक और आला कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं.
कर नियमों में बदलाव ने भी इस वृद्धि को बढ़ावा दिया है. वित्तीय वर्ष 2020-21 से लाभांश पर कर व्यवस्था बदल दी गई और अब लाभांश कंपनी स्तर पर नहीं बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर कर योग्य है.
इसके परिणामस्वरूप कई शीर्ष अधिकारी और व्यवसायी ₹1 करोड़ से अधिक कमा रहे हैं. लाभांश वितरण कर (डीडीटी) के उन्मूलन के बाद, केवल एक वर्ष में करोड़पति करदाताओं की संख्या में 46% की वृद्धि हुई.
AI, Green Energy और Real Estate जैसे क्षेत्रों में वेतन में तेजी से ग्रोथ देखी जा रही है, जहां विशेषज्ञों की भारी मांग है. Grant Thornton India के राष्ट्रीय प्रबंध भागीदार विकास वासल कहते हैं, “इन क्षेत्रों में वेतन 20-30% बढ़ रहा है, जो करोड़पति करदाताओं की संख्या को बढ़ा रहा है.”
आगे के रास्ते पर विशेषज्ञ विभाजित हैं. जबकि विकास वासल जैसे विशेषज्ञों का मानना है कि यह वृद्धि जारी रहेगी, पूर्व सीबीडीटी प्रमुख आर. प्रसाद और सुधीर चंद्रा का कहना है कि गति धीरे-धीरे धीमी हो सकती है क्योंकि कई अमीर भारतीय अब संयुक्त अरब अमीरात जैसे कर-अनुकूल देशों की ओर जा रहे हैं.