जिस कुर्रेगुट्टालू पहाड़ पर कभी था ‘लाल आतंक’ का राज, वहां अब बनेगा जंगल वारफेयर कॉलेज

बीजापुर : छत्तीसगढ़ के बीजापुर ज़िले की कर्रेगुट्टा पहाड़ी, जो कभी नक्सलियों का सबसे सुरक्षित गढ़ मानी जाती थी, इसी पहाड़ी पर जल्द ही देश का दूसरा जंगल वारफेयर कॉलेज स्थापित किया जाएगा.

इस कॉलेज में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), छत्तीसगढ़ पुलिस, डीआरजी, कोबरा और अन्य सशस्त्र बलों को विशेष प्रशिक्षण मिलेगा. इसका निर्माण केंद्र सरकार करेगी, जबकि एप्रोच रोड और अन्य बुनियादी सुविधाएं राज्य सरकार उपलब्ध कराएगी.

प्रदेश में इससे पहले साल 2004 में कांकेर में काउंटर टेररिज्म एंड जंगल वारफेयर कॉलेज खोला गया था. कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर बनने वाला यह नया केंद्र नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई को और मजबूत करेगा.

यहां कभी था लाल आतंक का राज

यह वही इलाका है जिसे इसी वर्ष सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के कब्जे से मुक्त कराया है. 21 अप्रैल 2025 को शुरू हुए ऑपरेशन के दौरान 21 दिन तक चली कार्रवाई में 31 नक्सली ढेर हुए. सूत्रों के अनुसार सुरक्षाबलों ने 214 बंकरों को ध्वस्त कर दिया और माओवादियों की करीब चार तकनीकी इकाइयों को भी नष्ट कर दिया. यह अभियान अब तक की सबसे बड़ी सफलताओं में गिना जा रहा है.

कर्रेगुट्टा पहाड़ी रणनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है. लगभग 900 मीटर ऊंची इस दुर्गम पहाड़ी में सैकड़ों गुफाएं हैं, जिन्हें नक्सली लंबे समय से अपने कैंप और हथियार बनाने की इकाइयों के लिए इस्तेमाल कर रहे थे. यही कारण है कि इसे नक्सलियों की “राजधानी” तक कहा जाता था. हाल ही में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने यहां चलाए गए ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट में शामिल जवानों से मुलाकात कर उन्हें सम्मानित किया. इस मौके पर पूरे देश ने सुरक्षा बलों के साहस और पराक्रम को सलाम किया.

नक्सलमुक्त भारत’ का संकल्प होगा साकार : सीएम विष्णु देव साय

छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णु देव साय ने स्पष्ट कहा कि,नक्सलियों की झूठी विचारधारा अब दम तोड़ रही है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ विश्वास, विकास और शांति की नई सुबह की ओर बढ़ रहा है. मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि मार्च 2026 तक ‘नक्सलमुक्त भारत’ का संकल्प साकार होगा.

दिसंबर 2023 से अब तक नक्सल विरोधी अभियानों में सुरक्षा बलों ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की है. इस अवधि में 453 माओवादी मारे गए, 1616 गिरफ्तार किए गए और 1666 ने आत्मसमर्पण किया. राज्य में 65 नए सुरक्षा कैंप खोले गए हैं और सड़क, पुल-पुलिया तथा मोबाइल नेटवर्क जैसी आधारभूत सुविधाओं का तेजी से विस्तार हुआ है.

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