रायगढ़ में चक्रधर गौशाला सहित अनेक स्थानों पर मनाया जा रहा है गोपाष्टमी का पर्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार आज गोपाष्टमी के ही दिन से भगवान कृष्ण ने गौ चराना प्रारंभ किया था

रायगढ़ : जिले में आज विभिन्न स्थानों पर गोपाष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है गौशाला चौक स्थित श्री चक्रधर गौशाला में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है और भक्तगण गौ माता की पूजा पूरे भक्ति भाव से कर रहे हैं। मान्यता अनुसार गोपाष्टमी के दिन से ही भगवान कृष्ण ने गायों को चराना आरंभ किया था। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। गोपाष्टमी के पर्व पर भगवान कृष्ण और गायों की पूजा होती है। हिंदू सनातन धर्म में मान्यता है कि गाय माता 33 कोटि देवी देवताओं का वास है और गौ माता की पूजा करने से आशीर्वाद मिलता है और घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन से भगवान कृष्ण ने गाय को चराना शुरू कर दिया था इससे पहले वे केवल गाय के बछड़ों को ही चराया करते थे। इसी उपलक्ष्य में मथुरा वृंदावन समेत आज पूरे भारतवर्ष में धूमधाम से इस पर्व को आज मनाया जा रहा है।

पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान कृष्ण 6 वर्ष के थे तब उन्होंने माता यशोदा से कहा कि मां मैं अब बड़ा हो गया हूं इसलिए अब मैं बछड़ों के साथ गाय को भी चराने जाउंगा। तब मैया यशोदा ने कहा कि इसके लिए तुम अपने बाबा से बात करो, बाल कृष्ण भगवान तुरंत नंद बाबा के पास गए और गाय चराने को कहा लेकिन नंद बाबा ने मना कर दिया कि तुम अभी काफी छोटे हो अभी केवल बछड़ों को ही चराओ लेकिन बाल गोपाल अपनी जिद पर अड़े रहे तब नंद बाबा ने कहा कि जाओ पंडितजी को बुला लाओ बाल गोपाल भागे भागे पंडितजी को बुला लाए। पंडितजी ने पंचांग देखा और उंगलियों पर गणना करने लगे। काफी देर तक जब पंडितजी ने कुछ नहीं कहा तब नंद बाबा बोले आखिर हुआ क्या है पंडितजी आप काफी देर से कुछ बोल नहीं रहे हैं। पंडितजी बोले गायों को चराने का मुहूर्त आज ही बन रहा है, इसके बाद पूरे साल तक कोई शुभ मुहूर्त नहीं है। पंडितजी के बात सुनकर बाल गोपाल तुरंत गायों को चराने के लिए निकल पड़े। बाल गोपाल ने जिस दिन से गायों को चराना शुरू कर दिया था उस दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि थी इसलिए पूरे भारत वर्ष में इस दिन गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है और गौ माता की पूजा की जाती है। आज भक्तजन गौ माता पर लाल कपड़ा चुनरी चढ़ते हैं और श्रद्धा अनुसार रोटी, गुड, मीठा भात, ताजी घास और अनेक प्रकार के व्यंजन अपने घर से बना कर गौ माता को खिलाकर उनकी पूरी भक्ति भाव से पूजा करते हैं।

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