36 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीतने वाला डायरेक्टर, जिसे फ्रांस के राष्ट्रपति ने कोलकाता आकर दिया था सम्मान

मुंबई : आपको एक हिंदी सिनेमा के इतिहास की एक ऐसी शख्सियत के बारे में बता रहे हैं, जिसने एक-दो नहीं बल्कि 36 नेशनल अवॉर्ड जीते। यही नहीं, ऑस्कर जैसा दुनिया का प्रतिष्ठित अवॉर्ड जीतकर इतिहास भी रच दिया था। यह थे सत्यजीत रे। मिसाल लायक बात यह है कि सत्यजीत रे ने अपनी कोई भी फिल्म कभी भी ऑस्कर के लिए नहीं भेजी थी, लेकिन उनके लिए खुद ऑस्कर भारत आ गया था। सत्यजीत रे की इस कामयाबी के बारे में जानने से पहले, उनके शुरुआती जीवन के बारे में थोड़ा जान लेते हैं।

सत्यजीत रे का जन्म कोलकाता में 2 मई 1921 में हुआ था। उनके पिता सुकुमार रे एक जाने-माने लेखक थे। सत्यजीत रे एक कमर्शियल आर्टिस्ट रहे, लेकिन स्वतंत्र फिल्मों की ओर उनका रुझान बढ़ने लगा। यह तब हुआ, जब सत्यजीत रे की मुलाकात फ्रेंच फिल्ममेकर जीन रेनॉयर से हुई थी। सत्यजीत रे ने अपने 40 साल के करियर में 36 फिल्में डायरेक्ट की थीं। इनमें फीचर फिल्मों से लेकर डॉक्यूमेंट्री और शॉर्ट मूवीज तक शामिल रहीं। और इनके लिए उन्होंने दुनियाभर के सम्मान जीते।

पहली ही फिल्म ‘पाथेर पांचाली’ को मिले थे 11 अवॉर्ड

आपको जानकर हैरानी होगी कि सत्यजीत रे की पहली फिल्म ‘पाथेर पांचाली’ ने 11 इंटरनेशनल अवॉर्ड जीते थे। इसे आज भी दुनिया की सबसे महान फिल्मों में गिना जाता है। साल 1955 में रिलीज हुई ‘पाथेर पांचाली’ को कान फिल्म फेस्टिवल में भी सम्मानित किया गया था। वहीं इसे ब्रिटिश मैगजीन ‘साइट एंड साउंड’ ने दुनिया की 100 सर्वश्रेष्ठ फिल्मों की लिस्ट में शामिल किया था।

पैसे उधार लेकर बनाई थी दुनिया की सर्वश्रेष्ठ फिल्म

लेकिन ‘पाथेर पांचाली’ को बनाने में सत्यजीत रे को बहुत ही मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। सत्यजीत रे की लिखी कहानी सभी को पसंद आ रही थी, पर कोई भी शख्स ऐसा नहीं था जो उस फिल्म में पैसा लगाने को तैयार होता। इस तरह सत्यजीत रे लगातार दो साल तक फिल्म के लिए प्रोड्यूसर ढूंढते रहे। फिर उन्होंने अपना खुद का पैसा ही लगाने का फैसला किया। बताया जाता है कि सत्यजीत रे ने ‘पाथेर पांचाली’ के लिए रिश्तेदारों और दोस्तों से कुछ पैसे उधार लिए। इसके अलावा अपनी पॉलिसी का पैसा भी निकाला।

पत्नी के गहने तक रख दिए थे गिरवी

स्थिति ऐसी आ गई थी कि सत्यजीत रे को पत्नी के गहने तक गिरवी रखने पड़े थे। जैसे-तैसे फिल्म पूरी की गई, और रिलीज हुई। ‘पाथेर पांचाली’ दुनियाभर में छा गई और इसने ढेरों अवॉर्ड जीते। सत्यजीत रे के नाम का डंका हर तरफ बजने लगा। उन्होंने फिर ‘अपराजितो’, ‘पारस पत्थर’, ‘जलसागर’, ‘अपुर संसार’, ‘अभिजन’, ‘महासागर’ और ‘चारूलता’ जैसी दर्जनों फिल्में शामिल हैं।

न फिल्मों के लिए जीते 36 नेशनल अवॉर्ड

सत्यजीत रे ने अपने करियर में 36 नेशनल अवॉर्ड जीते, जोकि उन्हें ‘पाथेर पांचाली’, ‘अपुर संसार’, ‘जलसागर’, ‘देवी’, ‘तीन कन्या’, ‘रबींद्रनाथ टैगोर’, ‘अभिजन’, ‘महानगर’, ‘चारूलता’, ‘नायक’, Chiriyakhana, Goopy Gyne Bagha Byne, ‘प्रतिद्वंद्वी’, ‘सीमाबद्ध’, ‘द इनर आई’, ‘अश्नि संकेत’, ‘सोनार केला’, ‘जन आर्या’, ‘शतरंज के खिलाड़ी’, ‘जय बाबा फेलूनाथ’, ‘हीरक राजर देशे’, ‘सदगति’, ‘घरे बायरे’, ‘गणशत्रु’, ‘आगंतुक’ और ‘उतरन’ जैसी फिल्मों के लिए मिले थे। इनमें से सत्यजीत रे को छह नेशनल अवॉर्ड बेस्ट डायरेक्टर के मिले। वहीं बीस नेशनल अवॉर्ड बेस्ट फीचर फिल्म के लिए मिले थे।

सत्यजीत रे के नाम रिकॉर्ड

सत्यजीत रे एकमात्र ऐसे डायरेक्टर हैं, जिन्हें गोल्डन बियर अवॉर्ड के लिए सबसे ज्यादा बार नॉमिनेशन मिला। वह चार्ली चैप्लिन के बाद दूसरे ऐसे शख्स रहे, जिन्हें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से डॉक्ट्रेट की उपाधि मिली। उन्हें दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड और पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया। वहीं फ्रांस के राष्ट्रपति Francois Mitterrand तो सत्यजीत रे को सम्मानित करने खुद कोलकाता आए थे। उन्होंने 1988 में कोलकाता आने पर सत्यजीत रे को फ्रांस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘लीजन ऑफ ऑनर’ से सम्मानित किया था। साल 1992 में सत्यजीत रे को ऑस्कर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। वहीं भारत सरकार ने उन्हें 1992 में सिनेमा में अमिट योगदान के लिए भारत रत्न से सम्मानित किया था। उसी साल अप्रैल में सत्यजीत रे का निधन हो गया। तब वह 70 साल के थे।

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