नियामे : अफ्रीकी देश नाइजर में सेना ने तख्तापलट कर राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम की सरकार को उखाड़ फेंका है। राष्ट्रपति गार्ड के कमांडर जनरल अब्दुर्रहमान तियानी ने खुद को देश का नेता घोषित कर दिया है। इस तख्तापलट की कई देशों समेत पश्चिम अफ्रीकी राज्यों का आर्थिक समुदाय (ECOWAS) ने निंदा की और ईकोवास ने लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम को जल्द रिहा करने करने को कहा था और ऐसा न करने पर बल प्रयोग की बात कही थी।
वहीं अब राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम को रिहा करने की समयसीमा रविवार तक की थी, जो खत्म हो चुकी है, वहीं अब नाइजर में इसको लेकर तनाव बढ़ गया है कि आगे क्या होगा। इस बीच नाइजर के नए सैन्य नेताओं ने कहा है कि वे पद छोड़ने के लिए बाहरी दबाव के आगे नहीं झुकेंगे। सैन्य नेताओं ने दावा किया कि उन्होंने जिहादी विद्रोहियों से लड़ने और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए राष्ट्रपति को हटा दिया।
एक रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को तख्तापलट के लगभग 30,000 समर्थक राजधानी नियामी के एक स्टेडियम में एक रैली के लिए एकत्र हुए, जिसमें जुंटा नेता जनरल अब्दुर्रहमान त्चियानी ने भाग लिया और लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि वे पद छोड़ने के लिए बाहरी दबाव के आगे नहीं झुकेंगे और उन्होंने कथित तौर पर रूसी भाड़े के समूह वैगनर से सहायता मांगी है। बता दें नाइजर में लोगों ने पुतिन जिंदाबाद के नारे लगाए थे।
क्या है ECOWAS
पश्चिम अफ़्रीकी राज्यों का आर्थिक समुदाय पश्चिम अफ्रीका में स्थित पंद्रह देशों का एक क्षेत्रीय राजनीतिक और आर्थिक संघ है। ईकोवास (ECOWAS) अफ्रीकी क्षेत्र में एक शांति सेना के रूप में भी कार्य करता है, सदस्य देश कभी-कभी राजनीतिक अस्थिरता और अशांति के समय ब्लॉक के सदस्य देशों में हस्तक्षेप करने के लिए संयुक्त सैन्य बल भेजते हैं।
नाइजर में बढ़ रही महंगाई
नाइजर में कुछ नागरिक तख्तापलट करने वाले नेताओं की जय-जयकार कर रहे हैं, वहीं अन्य लोग डर रहे हैं कि आगे क्या हो सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, नियामी में लोगों का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि आगे किसी भी संघर्ष से बचने के लिए बातचीत होगी। तख्तापलट के बाद से कई देशों द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध नागरिकों के लिए जीवन को कठिन बना रहे हैं, चावल और सब्जियों जैसे बुनियादी खाद्य पदार्थों की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं। वहीं एक नियामी निवासी मोहम्मद नोआली ने बताया कि हम शांति चाहते हैं, किसी दूसरे देश के खिलाफ विदेशी देशों द्वारा कोई आक्रामकता नहीं। सिर्फ खाने का खर्चा जुटा पाना ही हमारे लिए एक समस्या है। इसलिए, अगर कोई युद्ध होता है तो इससे कुछ भी ठीक नहीं होगा।