बलात्कार के दोषी आसाराम को कोर्ट ने सुनाई आज कड़ी सजा, गुरुपूर्णिमा के दिन किया था शिष्या के साथ दुष्कर्म

Aasaram life imprisonment : रेप के दोषी आसाराम को कोर्ट ने कड़ी सजा सुनाई है। बलात्कारी आसाराम ने अपनी शिष्या से बलात्कार के आरोप में अपना जीवन जेल में बिताया। कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज मंगलवार को कोर्ट ने रेप के दोषी आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाई है। आसाराम के पूर्व शिष्या ने अपने आश्रम में रहने के दौरान उसके प्रति आसाराम की क्रूरता का वर्णन किया। पीड़िता ने आसाराम पर गुरु पूर्णिमा के दिन दुष्कर्म करने का आरोप लगाया है। केस दर्ज हुए नौ साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद अब कोर्ट ने दोषी को कड़ी सजा सुनाई है।

यह सनसनीखेज रेप का मामला लंबे समय से गांधीनगर कोर्ट में लंबित था। कल यानी सोमवार को कोर्ट ने स्वयंभू संत को  शिष्या से रेप का दोषी करार दिया और मंगलवार को उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। अभियोजन पक्ष ने सोमवार को कहा कि ट्रायल जज डीके सोनी ने सबूतों के अभाव में आसाराम की पत्नी लक्ष्मीबेन, उनकी बेटी और छह अन्य आरोपियों के साथ चार शिष्यों को अपराध में मदद करने और उकसाने के आरोप से बरी कर दिया था।

गांधीनगर कोर्ट के फैसले के बाद आसाराम के पक्ष में केस लड़ रहे वकील ने कहा कि सेशन कोर्ट के फैसले को गुजरात हाई कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। याद दिला दें कि पीड़िता की छोटी बहन के साथ आसाराम के बेटे नारायण साईं ने दुष्कर्म किया था। इतना ही नहीं अमानवीयता की हदें पार करते हुए उन्हें अवैध रूप से बंधक बना लिया था। इस मामले में साईं को सूरत की एक अदालत ने अप्रैल 2019 में बलात्कार का दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। एक पूर्व छात्रा ने 2013 में नारायण साईं के खिलाफ रेप का मामला दर्ज कराया था।

पीड़ित छात्रा ने आसाराम की क्रूरता के बारे में बताते हुए कहा कि दोषी ने 2001 से 2006 के बीच कई बार उसे प्रताड़ित किया। सूरत की रहने वाली पीड़िता ने कहा कि वह तब अहमदाबाद के पास मोटेरा आश्रम में रह रही थी। 2006 में, वह आश्रम से भागने में सफल रही। 6 अक्टूबर 2013 को आश्रम से भागने के बाद पीड़िता ने अहमदाबाद के चांदखेड़ा थाने में आसाराम और छह अन्य के खिलाफ बलात्कार की शिकायत दर्ज कराई। मामला दर्ज होने के बाद जुलाई 2014 में चार्जशीट दाखिल की गई।

बलात्कार के मामले में, अदालत ने आसाराम पर धारा 376 2(सी), 377 (अप्राकृतिक अपराध), 342 (गलत  हिरासत), 354 उसकी लज्जा भंग करने के इरादे से महिला पर हमला या आपराधिक बल), 357 (हमला) और 506 गंभीर धाराओं के तहत उन्हें दोषी ठहराया गया था।

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