नई दिल्ली : हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस भारतीय वायुसेना में अपनी सेवा के सात साल शनिवार को पूरा कर लेगा। वायुसेना ने एक जुलाई, 2016 को पहली तेजस यूनिट का निर्माण करके विमान को सेवा में शामिल किया किया, जिसका नाम ‘फ्लाइंग ड्रैगर्स’ है। मई 2020 में नंबर 18 स्क्वाड्रन तेजस को संचालित करने वाली दूसरी इकाई बन गई। सात वर्षों में तेजस ने भारत को अलग पहचान दिलाई है।
लड़ाकू बेड़े के मुख्य आधार बनेंगे तेजस के भविष्य के संस्करण
रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि एलसीए तेजस और इसके भविष्य के संस्करण वायुसेना के लड़ाकू बेड़े के मुख्य आधार बनेंगे। वायु सेना को अगले साल फरवरी से तेजस एमके-1ए की आपूर्ति मिलने की उम्मीद है। स्वदेश में बना तेजस का नया संस्करण कई हथियारों के साथ लंबी दूरी तक दुश्मन के ठिकानों को तबाह करने में सक्षम होगा।
HAL को मिला 48 हजार करोड़ रुपये का आर्डर
फरवरी 2021 में मंत्रालय ने वायुसेना के लिए 83 तेजस एमके-1ए विमान की खरीद के लिए हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (HAL) को 48,000 करोड़ रुपये का आर्डर देकर इस हल्के लड़ाकू विमान पर भरोसा जताया। यह विमान इलेक्ट्रानिक रडार, दृश्य सीमा से परे (BVR) मिसाइल, इलेक्ट्रानिक वारफेयर (EW) सूट और हवा से हवा में ईंधन भरने (AAR) की महत्वपूर्ण परिचालन क्षमताओं से लैस है।
कई हथियारों के साथ हमला करने में सक्षम है तेजस
तेजस कई हथियारों के साथ हमला करने में सक्षम है। इनमें से कई हथियार स्वदेशी होंगे। इसमें 50 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया जाएगा, जिसे 60 प्रतिशत तक बढ़ाया जाएगा। तेजस को वायु रक्षा, समुद्री टोही और हमले की भूमिका निभाने के लिए डिजाइन किया गया है। यह एकल इंजन वाला बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान है।
अमेरिका समेत कई देश तेजस को खरीदने में दिखा रहे दिलचस्पी
मिस्त्र, अर्जेंटीना, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, मलेशिया और फिलीपींस जैसे देशों ने तेजस विमान खरीदने में गहरी दिलचस्पी दिखाई है।
वायुसेना ने 2021 में दुबई एयर शो, पिछले साल सिंगापुर एयर शो और 2017 से 2023 तक एयरो इंडिया शो सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में इस विमान प्रदर्शित करके भारत की स्वदेशी एयरोस्पेस क्षमताओं का प्रदर्शन किया है।