शिक्षकों का प्रमोशन घोटाला : 600 से अधिक शिक्षकों ने हाईकोर्ट में दायर की याचिकाएं, रद्द आदेश को बहाल करने की मांग

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में शिक्षकों के प्रमोशन के बाद ट्रांसफर के घोटाले की जांच रिपोर्ट आ गई है। जिसके बाद राज्य शासन ने शिक्षा विभाग द्वारा किए गए पदस्थापना आदेश को रद्द कर दिया है। शासन के आदेश के बाद बिलासपुर संभाग में 150 शिक्षकों ने रिलीव ले लिया है। संशोधन पदस्थापना आदेश निरस्त होने के बाद प्रभावित होने वाले 600 से अधिक शिक्षक हाई कोर्ट पहुंच गए हैं। शासन के निरस्त आदेश को बहाल करने की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की।

दरअसल यह पूरा घोटाला राज्य में कांग्रेस की सरकार के समय का है। शिक्षकों का प्रमोशन और उसके बाद पदस्थापना किया जाना था। जिन अफसरों को राज्य शासन ने इसकी जिम्मेदारी सौंपी थी, उन लोगों जमकर भ्रष्टाचार किया। प्रमोशन के बाद पदस्थापना में किए गए घोटाले की शिकायत राज्य शासन तक पहुंची। जिसके बाद संभागायुक्तों को घोटाले की जांच करने और रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था।

एक हफ्ते के भीतर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश

राज्य शासन के निर्देश पर संभागायुक्तों ने जांच के लिए कमेटी बनाई और एक हफ्ते के भीतर रिपोर्ट मांगी। कमेटी की जांच रिपेार्ट में सामने आया की प्रमोशन के बाद पदस्थापना देने में शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने जमकर भ्रष्टाचार किया है। रिपोर्ट के मुताबिक प्रमोशन के बाद शिक्षा विभाग ने पदस्थापना देना शुरू कर दिया था। वहीं अब राज्य शासन ने शिक्षा विभाग द्वारा किए गए पदस्थापना आदेश को रद्द कर दिया है।

बड़े पैमाने पर हुआ घोटाला

शासन के आदेश के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने आदेश में स्पष्ट किया था कि सभी शिक्षकों को एकतरफा कार्यमुक्त किया जाता है। शिक्षक अगर 10 दिन के भीतर पहले जहां पोस्टिंग हुई थी, वहां ज्वाइन नहीं करेंगे तो उनका प्रमोशन रद्द हो जाएगा। केवल बिलासपुर संभाग में 700 से ज्यादा शिक्षकों की संशोधन पदस्थापना हुई थी। राज्य शासन ने अपने आदेश में सभी शिक्षकों को 10 दिन के भीतर काउंसिलिंग के दौरान मिले स्कूलों में ज्वाइन करने का आदेश जारी किया था। जिसके बाद 150 शिक्षकों ने रिलीव ले लिया।

शिक्षकों ने हाईकोर्ट में दायर की याचिकाएं

संशोधन पदस्थापना आदेश रद्द होने के बाद 600 से अधिक शिक्षक हाई कोर्ट पहुंच गए हैं। शिक्षकों ने शासन के रद्द आदेश को बहाल करने की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की है। 4 सितंबर 2023 को निरस्तीकरण का आदेश निकला था। इस तिथि से ज्वाइन करने के लिए 10 दिन का समय दिया गया था। 13 सितंबर तक उन्हें ज्वाइन करना था। शिक्षकों ने सोचा था कि 12 सितंबर तक अगर हाईकोर्ट से कुछ नहीं हुआ तो 13 सितंबर को ज्वाईन कर लेंगे। लेकिनं इससे पहले हाईकोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दे दिया।

पैसे देकर कराया गया ट्रांसफर

इस मामले में सरकार की तरफ से तत्कालीन महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा के अनुसार सरकार ने संभाग के कमिश्नर की रिपोर्ट पर कार्रवाई की है। कमिश्नरों की रिपोर्ट में माना गया है कि पैसे देकर शिक्षकों ने अपने घर के नजदीकी स्कूलों में ट्रांसफर करा लिया। उन्होंने ये भी कहा कि, सरकार ने तो उनका प्रमोशन निरस्त किया है और न ही पहले में जहां पोस्टिंग हुई थी, उसे निरस्त किया है। जिसमें बड़े स्तर पर गड़बड़िया की गई उन्हें निरस्त किया गया है। दुर्ग जिले से 164 शिक्षकों का शासकीय गवाह के रूप में बयान लेने शिक्षकों को पहले सूचना भेजी जा चुकी थी। शिक्षकों के बयान और जांच अधिकारी की रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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