स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती बोले, 17 मार्च को यह तय हो जाएगा कौन गौ-माता को मानने वाला है और कौन कसाई है?

मैरठ। जगदुगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने गौ माता के संरक्षण और राजनीतिक दलों के रवैये को लेकर एक महत्वपूर्ण प्रेस कांफ्रेंस की. उन्होंने सोमवार को कहा कि यदि गौ को माता माना जाता है, तो इसे कानूनी रूप से माता का दर्जा मिलना चाहिए. शंकराचार्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि दोनों नेता खुद को बड़े गौ प्रेमी बताते हैं, लेकिन बीते 11 वर्षों के आंकड़े इससे अलग तस्वीर पेश करते हैं.
‘गौ हत्या के मुद्दे पर मांगे जाते हैं केवल वोट’
उन्होंने राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि गौ हत्या के मुद्दे पर केवल वोट मांगे जाते हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं होता कि वे वास्तव में गाय के पक्षमें हैं या नहीं. उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि सभी दल यह स्पष्ट करें कि वे गौ माता के समर्थन में हैं या विरोध में. जो विपक्ष में हैं, वे भी खुलकर सामने आएं. हम उनकी ईमानदारी का सम्मानकरेंगे/
17 मार्च से देशभर में प्रदर्शन
शंकराचार्य अविमुक्तेश्रानंद ने राजनीतिक दलों को 17 मार्च तक का समय दिया है ताकि वे गौ माता पर अपना रुख स्पष्ट करें. उन्होंने कहा कि यह 33 दिन की प्रतीक्षा 33 कोटि देवताओं के प्रतीक रूप में रखी गई है. शंकराचार्य ने कहा, “अगर सरकार और राजनीतिक दल 17 मार्चतक गौ माता पर अपना पक्ष स्पष्ट नहीं करते हैं, तो हम 17 मार्च से पूरे देश में प्रदर्शन शुरू करेंगे. उन्होंने आगे कहा कि देशभर में यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहेगा, और वह स्वयं दिल्ली के रामलीला मैदान में बैठेंगे.
इतिहास में पहली बार शंकराचार्य करेंगे इस तरह का प्रदर्शन
शंकराचार्य ने कहा कि 2500 साल पुरानी शंकराचार्य परंपरा में यह पहली बार होगा, जब कोई शंकराचार्य इस तरह से सवाल उठाकर प्रदर्शन करेगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कोई आंदोलन नहीं होगा, जिसमें सड़कों को जाम किया जाएया जनता को परेशान किया जाए. उन्होंने कहा, “आईबी (इंटेलिजेंस ब्यूरो) हमसे पूछताछ कर रही है कि प्रदर्शन में कौन आरहा है. लेकिन हमारा उद्देश्य केवल सरकार और जनता को जागरूक करना है.”
बताददेंकि शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने राजनीतिक दलों को गौ माता पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए 17 मार्च तक का समय दिया है.उनका कहना है कि गौमाता की रक्षा और सम्मान के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए, न कि सिर्फ चुनावी वादे करने चाहिए.
गौसंरक्षण आंदोलनको मिल रहा व्यापक समर्थन
भारतभर में गौ संरक्षण अभियान को जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। कई धार्मिक और सामाजिक संगठन इस मांग के समर्थन में आगे आए हैं। विभिन्न हिंदू संगठनों,संतों और आध्यात्मिक नेताओं ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की मांग का समर्थन किया है और सरकार से ठोस कदम उठाने का आग्रह किया है।
कई भक्तों और अनुयायियों का मानना है कि गाय को ‘गौ माता’ का दर्जा देना भारतीय आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों को संरक्षित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम होगा। सोशल मीडिया पर इस विषय पर चर्चा जोरों पर है, जहां #gaumataprotection, #march17protection, #legalstatusforcows जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
17 मार्चकी समय सीमा के निहितार्थ
रामलीला मैदान में 17 मार्च को होने वाले इस आयोजन में बड़े पैमाने पर धार्मिक नेता, गौ संरक्षण कार्यकर्ता और हजारों भक्तों के शामिल होने की उम्मीद है। यदि सरकार इस तिथि तक कोई ठोस कदम नहीं उठाती है, तो स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन की संभावना जताई है।
गौसंरक्षण में सरकारी नीतियों की भूमिका
भारतीय सरकार ने गौ वध के संबंध में कई कानून लागू किए हैं, जहां कुछ राज्यों में पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है, जबकि अन्य राज्यों में विशेष परिस्थितियों में गौ वध की अनुमति दी गई है। हालांकि, कार्यकर्ताओं का तर्क है कि मौजूदा कानून अवैध गौ व्यापार और गौ हत्या को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि गायों को राष्ट्रीय स्तर पर ‘गौ माता’ का आधिकारिक दर्जा दिया जाता है, तो प्रवर्तन तंत्र को मजबूती मिलेगी, अवैध गौ हत्या पर कठोर दंड लगेगा और नैतिक डेयरी खेती को बढ़ावा मिलेगा।