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आत्‍मसमर्पण करो या सफाया कर देंगे… जब फील्‍ड मार्शल सैम मानेकशॉ की दहाड़ सुन कांप गए थे पाकिस्तानी

ढाका: आज फील्‍ड मार्शल सैम मानेकशॉ का जन्म दिवस है। मानेकशॉ के नेतृत्व में ही 1971 के युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान पर जीत हासिल की थी। उनके ही कारण तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान आज बांग्लादेश के नाम से एक अलग देश है। उस वक्त भारत सैन्य मोर्चे पर इतना ताकतवर नहीं था, जितना आज है। इसके बावजूद मानेकशॉ के कुशल नेतृत्व, सूझबूझ, साहस और पराक्रम ने बांग्लादेश में पाकिस्तानी सेना की जड़ें हिला दी थी।

भारत के पहले फील्ड मार्शल मानेकशॉ ने 13 दिसंबर को पाकिस्तानी जनरल से स्पष्ट रूप से कहा था कि आप आत्मसमर्पण करें या हम आपको मिटा देंगे। उस समय भारतीय सेना पूर्वी और पश्चिमी मोर्चे पर एक साथ पाकिस्तान से भिड़ी हुई थी। लेकिन, भारत के निरंतर जमीनी और हवाई हमलों के कारण पाकिस्तानी सेना की स्थिति चरमरा गई थी।

93000 पाकिस्तानी सैनिकों ने किया था आत्ममर्पण

भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम के कारण पाकिस्तानी सेना के जनरल अमीर अब्दुल्ला खान नियाजी ने 94,000 सैनिकों के साथ भारत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। 1971 का युद्ध 4 दिसंबर से 16 दिसंबर तक सिर्फ 12 दिनों तक चला था। इसे बांग्लादेश मुक्ति संग्राम 1971 के नाम से भी जाना जाता है। सैम मानेकशॉ ने ही बांग्लादेश में मौजूद पाकिस्तानी सेना को खदेड़ने के लिए एक साथ आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के इस्तेमाल पर जोर दिया था। यही कारण है कि पाकिस्तान की पूरी सप्लाई लाइन ही कट गई थी। 1971 के युद्ध में पूरे अरब सागर पर भारतीय नौसेना का कब्जा था। बांग्लादेश के आसमान पर भारतीय वायु सेना पकड़ बनाए बैठी थी और जमीन पर थल सेना मौजूद थी।

पांच युद्धों में शामिल हुए थे सैम मानकेशॉ

फील्ड मार्शल मानेकशॉ का पूरा नाम सैम होर्मसजी फ्रामजी जमशेदजी मानेकशॉ था। उन्हें सैम मानेकशॉ और सैम बहादुर (सैम द ब्रेव) के नाम से जाना जाता है। मानेकशॉ ने द्वितीय विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश भारतीय सेना में अपने करियर की शुरुआत की थी। उनका सैन्य करियर चार दशकों तक सक्रिय रहा। इस दौरान वे पांच युद्धों में भी शामिल हुए। मानेकशॉ द्वितीय विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश सेना के लिए म्यांमार में मिलिट्री ऑपरेशन की अगुवाई भी की थी। वे 1947 में बंटवारे के बाद कश्मीर के भारत में विलय के बाद पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में भी शामिल रहे। उन्हें 8 जून 1969 को भारतीय सेना के आठवें प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था।

भारत ने 1971 में पाक सेना को कैसे हराया

1971 के युद्ध की शुरुआत पाकिस्तान ने की थी। 3 दिसंबर को पाकिस्तानी वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने आगरा समेत भारतीय वायु सेना के 11 एयरबेस पर एक साथ हमला किया था। इसे युद्ध की शुरुआत मानी गई और अगले ही दिन भारत ने जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी। बांग्लादेश में भारतीय सेना ने 12 दिसंबर 1971 को हार्डिंग ब्रिज, खेतलाल और मधुपुर पर कब्जा कर लिया। इसके बाद राजधानी ढाका पर कब्जे के लिए नरसिंगडी को बेस के तौर पर इस्तेमाल किया गया। जब जमीन पर भारतीय सेना ऑपरेशन में व्यस्त थी, तभी भारतीय वायु सेना ने ढाका के गवर्नर हाउस और पाकिस्तानी सेना के ठिकानों को निशाना बनाया। भारतीय नौसेना ने भी अरब सागर और बंगाल की खाड़ी पर पूरा प्रभुत्व जमा लिया। भारत का आईएनएस विक्रांत बंगाल की खाड़ी में युद्ध की कमान संभाले हुए था।

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