झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट ने दिया झटका, केजरीवाल की तर्ज पर अंतरिम जमानत देने से इंकार

नई दिल्ली : कथित भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट ने झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार, 13 मई को कहा कि हेमंत सोरेन को लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जमानत नहीं दे सकते हैं। उन पर आरोप गंभीर हैं। मामले की सुनवाई 17 मई को तय की गई है।

हेमंत सोरेन ने अंतरिम जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तर्ज पर मौजूदा लोकसभा चुनावों में उनकी झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) पार्टी के लिए प्रचार करने की अनुमति मांगी थी।

कपिल सिब्बल ने दिया था ये तर्क

सोरेन के कानूनी वकील कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा कि यह मामला अरविंद केजरीवाल के आदेश के अंतर्गत आता है और मेरे मुवक्किल को चुनाव प्रचार के लिए जमानत की जरूरत है।

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने सोरेन की याचिका पर सुनवाई की। पीठ ने कहा कि आरोप गंभीर होने के कारण गिरफ्तारी के खिलाफ आपकी (हेमंत सोरेन) याचिका पर ईडी को सुने बिना आदेश नहीं देंगे। चुनाव है तो हम इसमें आपकी मदद नहीं कर सकते हैं।

3 मई को हाईकोर्ट ने खारिज की थी याचिका
झारखंड हाईकोर्ट ने 3 मई को हेमंत सोरेन की ईडी द्वारा गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को डबल बेंच ने सुनवाई अगले हफ्ते करने की बात कही। लेकिन कपिल सिब्बल ने बार-बार सुनवाई करने का अनुरोध किया। इस पर जस्टिस खन्ना ने 17 मई को सुनवाई की तारीख तय की। साथ में यह भी कहा कि उस दिन कई मामले लिस्टेड हैं। सुनवाई हो भी गई तो फैसला देना संभव नहीं होगा।

ईडी ने क्या लगाए थे आरोप?
ईडी का आरोप है कि हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान करोड़ों रुपये की मूल्यवान भूमि हासिल करने के लिए आधिकारिक रिकॉर्ड में हेरफेर किया। झामुमो नेता को 31 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद उन्हें रांची की बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

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