नई दिल्ली : सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन से सनातन धर्म पर दिए गए विवादित बयान को लेकर दी गई याचिका पर सवाल पूछा। दरअसल स्टालिन ने अपनी याचिका में अलग अलग एफआईआर को जोड़ने की अपील की थी। कोर्ट ने पूछा कि स्टालिन ने इस मामले में किस न्यायिक अधिकार के तहत शीर्ष अदालत में याचिका दायर की।
सुप्रीम कोर्ट ने दिए ये निर्देश
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने मंत्री से कहा कि वह संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत नहीं बल्कि सीआरपीसी की धारा 406 के तहत शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर सकते थे। सीआरपीसी की धारा 406 में आपराधिक मामलों को स्थानांतरित करने की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि ऐसे कुछ मामलों में संज्ञान लिया गया है और समन जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा न्यायिक अधिकार के तहत कार्यवाही को नहीं छुआ जा सकता।
याचिका में संशोधन करें स्टालिन- सुप्रीम कोर्ट
पीठ ने उदयनिधि स्टालिन को कानूनी मुद्दों को ध्यान में रखते हुए अपनी याचिका में संशोधन करने के लिए कहा है। अदालत द्वारा मामले को 6 मई से शुरू होने वाले सप्ताह में सूचीबद्ध करने की अनुमति दी गई है। सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु के मंत्री की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए। उन्होंने कहा कि टिप्पणी करने के पीछे राजनीतिक युद्ध करने का इरादा नहीं था क्योंकि उस दौरान वहां केवल 30 से 40 लोगों का जमावड़ा था।
स्टालिन के इस बयान पर मचा था बवाल
उदयनिधि स्टालिन तमिलनाडु में युवा कल्याण और खेल मंत्री हैं। वह तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन के बेटे हैं। सितंबर 2023 में एक सम्मेलन में उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि सनातन धर्म सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है और इसे जड़ से मिटा देना चाहिए। उस दौरान उन्होंने सनातन धर्म की तुलना कोरोनोवायरस, मलेरिया और डेंगू से की और कहा कि इसे नष्ट कर दिया जाना चाहिए।