Site icon khabriram

14 जनवरी की रात तीन बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे सूर्य, 15 को मकर संक्रांति

makar sankranti

पंचांग की गणना के अनुसार 14 जनवरी की रात तीन बजे सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा। 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व काल मनाया जाएगा। धर्मशास्त्रीय मान्यता और भारतीय ज्योतिष शास्त्र के सिद्धांत के अनुसार जब संक्रांति का क्रम सायं अथवा रात्रि या अपर रात्रि में हो तो पर्वकाल अगले दिन मनाने की बात कही गई है।

इस दृष्टिकोण से 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पुण्य काल मनाना शास्त्र सम्मत रहेगा। इस दिन तीर्थ स्नान तथा तिल, गुड़ व मूंग की दाल-चावल की खिचड़ी के दान का विशेष महत्व है। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार इस बार मकर संक्रांति का पर्वकाल इसलिए विशेष माना जाता है कि इस दिन से सूर्यदेव दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर गमन करते हैं।

सूर्य का उत्तरायण शुभ, मांगलिक कार्यों के लिए विशेष शुभ माना जाता है। इस बार मकर संक्रांति का पर्वकाल इसलिए भी सर्वश्रेष्ठ रहेगा क्योंकि यह वरियान योग की साक्षी में मनाया जाएगा।

भारतीय ज्योतिष शास्त्र में 27 योगों का उल्लेख दिया गया है इनमें से वरियान योग विशेष महत्वपूर्ण है। क्योंकि वरियान योग के अधिपति देव कुबेर हैं। इस योग की साक्षी में आर्थिक प्रगति के द्वार खुलते हैं। इस दृष्टिकोण से धान्य संपदा, पशु संपदा और परिश्रम का विशिष्ट लाभ दिखाई देगा।

बैठी हुई अवस्था में आएगी संक्रांति

मकर संक्रांति की अलग-अलग प्रकार की अवस्था होती है। संक्रांति यदि खड़ी हो, तो उसका फल अलग होता है। इस बार संक्रांति बैठी हुई अवस्था में आ रही है। इसका फल राष्ट्र में संतुलन व राजनेताओं में सामंजस्य की स्थिति निर्मित करेगा।

वाहन अश्व व उप वाहन सिंह

इस बार मकर संक्रांति का वाहन अश्व व उपवाहन सिंह रहेगा। वाहन अश्व होने से जनहितैषी कार्यों की गति बढ़ेगी तथा उपवाहन सिंह होने से विशेष प्रभाव दिखाई देगा। इन दोनों वाहनों की गणना करें, तो संपूर्ण विश्व में भारतीय राष्ट्रीय विचारधारा का प्रभाव दिखाई देगा। नई पीढ़ी के मध्य आध्यात्मिक दृष्टिकोण दिखाई देगा। यह एक अच्छी स्थिति है जिसका लाभ आने वाले समय में दिखाई देगा।

दक्षिण दिशा की ओर गमन

यह स्थिति एक विशिष्ट स्थिति के योग दर्शाती है कि भारत का अल्प विकसित राष्ट्रों के मध्य दबदबा बढ़ेगा वहीं विकसित राष्ट्रों से समान स्थिति पर वार्तालाप के साथ में सफलता की प्राप्ति का भी योग बनेगा।

मकर संक्रांति पर यह दान विशेष

मकर संक्रांति के पर्व काल पर सामान्यतः चावल, हरी मूंग की दाल की खिचड़ी, पात्र, वस्त्र, भोजन आदि वस्तुओं का दान अलग-अलग प्रकार से करने की परंपरा भी है। विशेष तौर पर तांबे के कलश में काले तिल भरकर ऊपर सोने का दाना रखकर दान करने से पितरों की कृपा, रोग दोष से निवृत्ति तथा बाधा समाप्त होती है। इसके साथ ही पितरों के निमित तर्पण करने से, गायों को घास खिलाने से और भिक्षु को भोजन दान करने से मानसिक शांति और कार्य में गति बढ़ती है।

Exit mobile version