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मुजफ्फरनगर में छात्र को थप्पड़ मारने का केस:एससी की यूपी सरकार को फटकार, कहा-घटना ने राज्य की अंतरात्मा को झकझोरा

suprim court

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक शिक्षिका द्वारा छात्र को उसी के सहपाठियों से थप्पड़ मरवाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से घटना हुई है, उसने राज्य की अंतरात्मा को झकझोर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने इसी के साथ पीड़ित और घटना में शामिल अन्य छात्रों की पेशेवर परामर्शदाताओं से काउंसलिंग कराने का निर्देश दिया।

सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि अगर किसी छात्र को केवल इस आधार पर दंडित करने की मांग की जाती है कि वह एक विशेष समुदाय से है, तो इसका मतलब है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दी जा रही है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार बच्चे से उसी स्कूल में पढ़ाई जारी रखने की उम्मीद भी नहीं कर सकता है।

IPS अधिकारी करेगा मामले की जांच

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक शिक्षक के निर्देश पर एक स्कूली छात्र को सहपाठियों द्वारा थप्पड़ मारे जाने की घटना की जांच राज्य द्वारा नामित एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए। इसी के साथ कोर्ट ने कहा कि वो वरिष्ठ अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रिपोर्ट दाखिल करेंगे।

महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने निर्देश दिया कि सरकार राज्य भर के स्कूलों में आरटीई अधिनियम के कार्यान्वयन पर चार सप्ताह में स्थिति रिपोर्ट पेश करेगी।

शिक्षा के अधिकार अधिनियम का हुआ उल्लंघन

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि प्रथम दृष्टया ये यूपी सरकार की शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने में विफलता का मामला है, जो 14 साल तक के बच्चों को बिना किसी भेदभाव के गुणवत्तापूर्ण, मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने से संबंधित है।

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